अमेरिकी ई-कॉमर्स फर्म एमेजॉन (Amazon) ने भारतीय सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया है। एमेजॉन ने कोर्ट में नेशनल कंपनी लॉ अपीलेट ट्राइब्यूनल (NCLAT) के उस आदेश को चुनौती दी है, जिसमें उसने फ्यूचर ग्रुप की एक फर्म के साथ 2019 में हुए सौदे को दी गई मंजूरी को स्थगित करने के कॉम्पिटीशन कमीशन ऑफ इंडिया (CCI) के फैसले को बरकरार रखा था।
Amazon ने खटखटाया सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा, फ्यूचर ग्रुप के साथ डील निलंबित रखने पर NCLAT के आदेश को दी चुनौती – Amazon moves SC challenges NCLAT order upholding CCI suspension of Future deal
NCLAT ने इस साल जून में CCI के इस निष्कर्ष से सहमति जताई कि एमेजॉन ने सौदे के वक्त इससे जुड़े सभी शर्तों और अपनी रणनीतिक दिलचस्पी का खुलासा नहीं किया था। बता दें कि एमेजॉन ने साल 2019 में फ्यूचर ग्रुप की एक कंपनी फ्यूचर कूपंस प्राइवेट लिमिटेड (FCPL) में निवेश किया था।
कॉम्पिटीशन कमीशन ऑफ इंडिया (CCI) ने तब इस सौदे को मंजूरी दे दी थी। हालांकि दिसंबर 2021 में CCI ने यह कहते इस सौदे को दी गई मंजूरी को स्थगित कर दिया कि एमेजॉन ने उस वक्त सौदे से जुड़ी सभी शर्तों और प्रावधानों का खुलासा नहीं किया था। सौदे को स्थगित करने का मतलब यह है कि सौदे को अभी रद्द नहीं किया गया है, बल्कि इसे निलंबित किया गया है।
एमेजॉन ने लगातार दावा किया है कि सीसीआई की मंजूरी लेने के दौरान सभी महत्वपूर्ण जानकारी और तथ्यों को रिकॉर्ड में रखा गया था। हालांकि, CCI और NCLAT दोनों ने अपने निष्कर्षों में पाया एमेजॉन, फ्यूचर ग्रुप के रिटेल बिजनेस को लेकर अपनी मंशा और रुचि का खुलासा करने में विफल रहा है। फ्यूचर ग्रुप, शेयर बाजार में लिस्टेड अपनी कंपनी फ्यूचर रिटेल लिमिटेड (FRL) के जरिए रिटेल कारोबार चलाता है।
यह मामला एमेजॉन की साल 2019 में फ्यूचर कूपंस प्राइवेट लिमिटेड (FCPL) में निवेश के एक सौदे से जुड़ा है। इस निवेश की कई शर्तों में एक शर्त यह भी थी कि किशोर बियानी के अगुआई वाला फ्यूचर ग्रुप पर कुछ संस्थाओं के साथ किसी भी तरह के कारोबार में जुड़ने पर रोक रहेगी। इन संस्थाओं में रिलायंस इंडस्ट्रीज (RIL) भी शामिल है।
हालांकि साल 2022 में फ्यूचर रिटेल लिमिटेड (FRL) ने अपनी सभी संपत्तियों को बेचने के लिए Reliance Industries की पूर्ण स्वामित्व वाली सहायक कंपनी Reliance Retail एक डील का ऐलान किया, जिसके बाद इन कंपनियों के बीच मुकदमेबाजी का लंबा सिलसिला चल पड़ा। एमेजॉन ने फ्यूचर ग्रुप पर कॉन्ट्रैक्ट के शर्तों को तोड़ने का आरोप लगाया और वह इसके खिलाफ सिंगापुर इंटरनेशनल आर्बिट्रेशन सेंटर (SIAC) में गई।
इस बीच साल 2021 मे फ्यूचर ग्रुप की कंपनियों के कुछ डायरेक्टर्स ने कॉम्पिटीशन कमीशन ऑफ इंडिया (CCI) में एक याचिका डाली और उससे साल 2019 में एमेजॉन के साथ डील को दी गई मंजूरी को वापस लेने की मांग की। इन डायरेक्टर्स ने दावा किया कि अमेरिकी ईकॉमर्स कंपनी ने फ्यूचर ग्रुप के रिटेल बिजनेस को लेकर अपने सही इरादों और मंशा का खुलासा नहीं किया था।
इस याचिका का व्यापारियों के संगठन कॉन्फेडरेशन ऑफ ऑल इंडिया ट्रेडर्स (CAIT) ने भी समर्थन किया। CCI ने इन सभी की याचिकाओं पर विचार करते हुए दिसंबर 2021 में सौदे को दी गई मंजूरी को निलंबित कर दिया। इसके अलावा, फ्यूचर ग्रुप और एमेजॉन इसी मामले को लेकर दिल्ली हाई कोर्ट और सिंगापुर की मध्यस्था अदातल में भी अलग-अलग कार्यवाही में उलझे हुए हैं।
इस बीच मुंबई की एक इनसॉल्वेंसी कोर्ट ने ‘इनसॉल्वेंसी और बैंकरप्सी कोड’ के तहत फ्यूचर रिटेल के खिलाफ दिवालिया प्रक्रिया शुरू करने को मंजूरी दे दी है। वहीं फ्यूचर रिटेल और रिलायंस रिटेल के बीच संपत्ति की बिक्री से जुड़ा डील रद्द हो गया है।
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