भारतीय बाजार ग्रोथ के लिए तैयार है और आने वाले वर्षों में हर एसेट क्लॉस ऊंचाई का नया स्तर छूता दिखेगा। ये बातें दिग्गज निवेशक और ट्रेडर राकेश झुनझुनवाला द्वारा स्थापित फर्म रेयर ग्रुप के (Rare Group)के मुख्य कार्यकारी अधिकारी (CEO) उत्पल शेठ ने 16 अक्टूबर को मुंबई में एसोसिएशन ऑफ नेशनल एक्सचेंज मेंबर्स ऑफ इंडिया (Association of National Exchanges Members of India (ANMI)द्वारा आयोजित 12 वें वार्षिक अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन में बोलते हुए कही।
बाजार में कमाई के लिए बंदरों नहीं गोरिल्लों पर लगाएं दांव, आने वाले सालों में सभी एसेट क्लॉस मचाएंगे धमाल: उत्पल सेठ – Bet on gorillas, not monkeys-all asset classes to reach new levels in coming years- Utpal Sethall of Rare Group
भारत में बढ़ते इक्विटी कल्चर पर बात करते हुए उत्पल शेठ ने आगे कहा कि पब्लिक हो या प्राइवेट, इक्विटी हो या डेट-भारतीय बाजार के हर एसेट क्लॉस में आने वाले सालों में नई ऊंचाई देखने को मिलेगी। इस समय हम भारतीय बाजार में भागीदारी कर रहे हैं ये हमारा सौभाग्य है।
इस सम्मेलन में उत्पल शेठ के साथ एवेन्यू सुपरमार्ट्स के चेयरमैन और बीएसई के सदस्य रमेश दमानी और हेलियल कैपिटल मैनेजमेंट (Helios Capital) के फाउंडर और फंड मैनेजर समीर अरोड़ा भी शामिल थे। पैनल का संचालन सीएनबीसी-आवाज के मैनेजिंग एडिटर और सीएनबीसी-टीवी18 के स्टॉक्स एडीटर अनुज सिंघल ने किया।
इस सम्मेलन के दौरान उत्पल शेठ ने देश के दिग्गज निवेशक राकेश झुनझुनवाला को याद किया। उत्पल शेठ ने बिग बुल के एक स्टेटमेंट को दोहराते हुए कहा कि भारत में निवेश के समय लिया जाने वाला सबसे बड़ा जोखिम भारत में निवेश न करना होगा। उन्होंने आगे कहा कि अधिकांश निवेशक निवेश को समय जो गल्ती करते हैं वो है गल्ती करने से डरना।
उत्पल शेठ ने ये भी कहा कि “गोरिल्ला और बंदरों के बीच अंतर नहीं करना” एक निवेशक के रूप में उनकी सबसे बड़ी गलती थी। बता दें कि गोरिल्ला एक ऐसी कंपनी के बारे में बताने के लिए इस्तेमाल किया जाने वाला शब्द है जो अपने सेक्टर पर हावी है, लेकिन जरूरी नहीं कि उसका अपने सेक्टर पर पूरा एकाधिकार (monopoly)हो।
उन्होंने कहा आगे कहा कि “हम कह सकते हैं कि सही स्टॉक खरीदें और उसमें बने रहें (buy right hold tight)। लेकिन यह तभी सही साबित होता है जब आप गोरिल्ला पर दांव लगा रहे हों। गोरिल्ला ऐसी कंपनियों को कहा जाता है जिनकी मैनेजमेंट टीम मजबूत होती है, जिनका बिजनेस मॉडल मजबूत होता और जिनका नेतृत्व मजबूत हाथों में होता है। लेकिन अगर कंपनी गोरिल्ला नहीं है और आप इसे पकड़ कर बैठे हैं तो आपकी अपार्च्यूनिटी कॉस्ट (opportunity cost)ज्यादा होगी। ”।
रमेश दमानी ने भी भारतीय बाजार के ग्रोथ और बाजार को लेकर निवेशकों खास कर खुदरा निवेशकों के बीच व्याप्त उम्मीद की सराहना की। उनका मानना है कि खुदरा निवेशकों ने “एक लंबा सफर तय किया है” और आगे “मल्टी ईयर बुल रन” पर नजर गड़ाए हुए हैं।
वहीं, हेलियस कैपिटल मैनेजमेंट (Helios Capital) के फाउंडर और फंड मैनेजर समीर अरोड़ा ने कहा कि भारत की इकोनॉमी की ओवर ऑल साइज और ग्रोथ को बढ़ावा देने को लिए सिर्फ ज्यादा निवेशकों की नहीं बल्कि ज्यादा पूंजी की जरूरत है। अरोड़ा ने आगे कहा,”निवेशकों की संख्या बढ़ने से बाजार की गहराई बढ़ जाती है, शायद बाजार की वोलैटिलिटी भी कम हो जाती है, लेकिन यह जरूरी नहीं कि एक निवेशक द्वारा अपेक्षित रिटर्न में वृद्धि हो।”
समीर अरोड़ा ने ये भी माना कि उन्होंने ये समझने में देरी कर दी की भारत सिर्फ निवेश के नजरिए से ही अच्छा नहीं है। बल्कि ये फंड रेजिंग और निवेश दोनों ही नजरिए से अच्छा है। ये उनकी गल्ती थी। उन्होंने आगे कहा कि पिछले 25 साल के आंकड़ों पर नजर डालें तो भारत तो डॉलर में भारत में मिलने मिलने वाला रिटर्न दुनिया में सबसे ज्यादा रहा है। डॉलर में मिलने वाले रिटर्न के आधार पर देखें तो भारतीय बाजार ने इस अवधि में अपने दूसरे समकक्ष बाजारों के तुलना में 10-11 फीसदी ज्यादा रिटर्न दिया है।
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