IIT प्लेसमेंट में मोटी सैलरी के सपने और हकीकत के बीच बढ़ रहा फासला – iit students are facing difficulty in getting their dream jobs offers

IIT में एडमिशन इंडिया में कई स्टूडेंट्स का सपना होता है। वजह है पढ़ाई के बाद शानदार करियर। लेकिन, हालिया डेटा से पता चलता है कि हकीकत और उम्मीद के बीच का फासला बढ़ रहा है। खासकर सिविल इंजीनियरिंग की पढ़ाई करने वाले स्टू़डेंट्स के मामले में ऐसा दिख रहा है। कंप्यूटर्स साइंस बैंकग्राउंड वाले स्टूडेंट्स को छोड़ दूसरे छात्रों को मोटी सैलरी और मनमाफिक प्लेसमेंट हासिल करने में दिक्कत आ रही है। मजबूरन स्टूडेंट्स को ऐसी कंपनियों में नौकरी करनी पड़ रही है, जिनका नाता उनकी पढ़ाई वाले फील्ड्स से नहीं है।

आमतौर पर प्लेसमेंट को कोर और नॉन-कोर कैटेगरी में बांटा जाता है। अगर एक मैकेनिकल इंजीनियर इंजीनियरिंग कंपनी BHEL या ऑटोमोटिव कंपनी M&M में नौकरी हासिल करता है तो इसे कोर प्लेसमेंट कहा जाता है। लेकिन, अगर यह इंजीनियर कंसल्टिंग फर्म JP Morgan जैसी कंपनी में नौकरी हासिल करता है तो उसे नॉन-कोर प्लेसमेंट कहा जाता है।

प्लेसमेंट की दो कैटेगरी

मनीकंट्रोल ने 23 IITs से मिले एक RTI के जवाब को देखा। उसने पाया कि 23 में से 10 IIT जिनके डेटा उपलब्ध हैं, उनमें 23 फीसदी स्टूडेंट्स को आईआईटी टैग होने के बावजूद प्लेसमेंट नहीं मिले। IIT मद्रास, IIT खड़गपुर, IIT कानपुर और IIT हैदराबाद में नॉन-कंप्टूयर साइंस वाले स्टूडेंट्स को कंप्यूटर साइंस स्टूडेंट्स के मुकाबले काफी कम प्लेसमेंट मिले।

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कोर इंजीनयरिंग ब्रांच के स्टूडेंट्स को दिक्कत

करियर360 के चेयरमैन महेश्वर पेरी ने कहा, “IITs और स्टूडेंट्स धीरे-धीरे अच्छी कोर इंजीनियरिंग कंपनियों के ऑफर रिजेक्ट कर रहे हैं।” उन्होंने कहा कि 30 फीसदी आईआईटी स्टूडेंट्स प्लेसमेंट नहीं पा रहे हैं, क्योंकि कोर इंजीनियरिंग के मुकाबले टेक्नोलॉजी को ज्यादा प्रोत्साहन मिल रहा है। उन्होंने कहा कि सर्विस कंपनियों की तरफ से मोटी सैलरी ऑफर होने से कोर इंजीनियरिंग ब्रांच के स्टूडेंट्स भी सॉफ्टवेयर और टेक कंपनियों के ऑफर एक्सेप्ट कर रहे हैं।

R&D सहित दूसरे ब्रांच के प्लेसमेंट में गिरावट

कंसल्टिंग फर्म Aon के डाटा से भी पेरी के प्वॉइंट की पुष्टि होती है। 2019-2022 के बीच आईआईटी प्लेसमेंट में शामिल होने वाली कंपनियों के एनालिसिस से पता चलता है कि एनालिटिक्स/कंसल्टिंग/फाइनेंस से जुड़ी कंपनियों के प्लेसमेंट में तीन साल के दौरान 7 फीसदी वृद्धि देखने को मिली, लेकिन R&D के प्लेसमेंट में 6 फीसदी गिरावट और बाकी के प्लेसमेंट में 23 फीसदी गिरावट देखने को मिली।

FMCG, FMCD, रिटेल, एनर्जी और ऑटो कंपनियों सहित दूसरे कैटेगरी की कंपनियों ने आईआईटी मद्रास, दिल्ली, बॉम्बे, कानपुर, खड़गपुर, रूड़की, गुवाहाटी और हैदराबाद में जॉब्स ऑफर करने में कम दिलचस्पी दिखाई।

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