लू, गर्मी और अल-नीनो का दिखेगा मार्केट पर असर, जानें कौन से सेक्टर्स को होगा फायदा और कहां उठाना पड़ेगा पैसों का नुकसान – Heat wave and El Nino will affect the market know which sectors will benefit and where will have to bear the loss of money

देश में आने वाले वक्त में गर्मी और सामान्य से अधिक तापमान का प्रकोप देखने को मिल सकता है। प्राइवेट संस्था स्काईमेट वेदर ने मार्च के अंत तक मैदानी इलाकों में तापमान 40 डिग्री सेल्सियस तक पहुंचने के साथ देश के कुछ हिस्सों में लू चलने का अनुमान लगाया है। भारत मौसम विज्ञान विभाग (IMD) के अनुसार, फरवरी पिछले 122 वर्षों में सबसे गर्म रहा, औसत अधिकतम तापमान 29.54 डिग्री सेल्सियस को छू गया। तापमान सामान्य से 3 से 9 डिग्री सेल्सियस अधिक था। बता दें कि भीषण गर्मी का असर बाजार पर भी देखने को मिल सकता है।

इन कंपनियों को मिल सकता है फायदा

बता दें कि अगर आने वाले वक्त में हीट वेव और तेज गर्मी की समस्या बढ़ती है तो इसका सीधा फायदा एयर कंडीशन, पंखे और रेफ्रिजिटेटर बनाने वाली कंपनियों को होगा। हीट वेव की वजह से वोल्टास, ब्लू स्टार, हैवेल्स, सिम्फनी और क्रॉम्पटन जैसे एयर कंडीशन और पंखा निर्माताओं को फायदा पहुंचेगा। वहीं एसआरएफ जैसे रेफ्रिजरेंट केमिकल बनाने वाली कंपनियों को भी रेवेन्यू में फायदा होगा।

अप्रैल में बढ़ेगी बिजली की डिमांड

टाटा पावर के एमडी और सीईओ प्रवीर सिन्हा ने CNBC-TV18 को दिए एक इंटरव्यू में कहा कि उन्हें उम्मीद है कि अप्रैल में बिजली की मांग बढ़कर लगभग 229 गीगावाट हो जाएगी, जबकि पिछली गर्मियों में यह 210 गीगावाट थी। इसलिए जेएसडब्ल्यू एनर्जी, एनटीपीसी, सीईएससी और टाटा पावर जैसी बिजली कंपनियों के भी लाभार्थी होने की संभावना है। हालांकि, अगर बिजली की मांग बढ़ती है और भारत को बिजली की कमी का सामना करना पड़ सकता है जिस वजह से इन्वर्टर बनाने वाली कंपनियों को भी इस गर्मी के सीजन में खासा मुनाफा हो सकता है। इसके अलावा आइसक्रीम और कोल्डड्रिंक बनाने वाली कंपनियों के भी कारोबार में खासा इजाफा होगा।

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अल नीनो की वजह से हो सकता है नुकसान

नेशनल ओशनिक एंड एटमॉस्फेरिक एडमिनिस्ट्रेशन (एनओएए) के मुताबिक इस साल अल-नीनो के 55-60 प्रतिशत होने की संभावना है। अल-नीनो आमतौर पर कम मानसून के साथ होता है। इसलिए यदि ऐसा है, तो कृषि रसायन क्षेत्र को कुछ चुनौतियों का सामना करना पड़ सकता है क्योंकि मानसून की कमी बुवाई को प्रभावित करती है और इसलिए यह उर्वरक और कीटनाशकों की मांग को नकारात्मक रूप से प्रभावित करेगी।

ग्रामीण अर्थव्यवस्था पर भी होगा असर

अल नीनो से ग्रामीण इलाकों की इकोनॉमी पर भी असर पड़ने की संभावना है। अगर मानसून में गिरावट या कमी आती है तो इससे खेती-किसानी पर भी असर पड़ेगा जिससे महंगाई बढ़ सकती है। जिस वजह से ग्रामीण इलाकों में ट्रैक्टर और मोटरसाइकिल की डिमांड पर भी असर देखने को मिलेगा। इसके अलावा एनबीएफसी जैसे सेक्टर भी इससे प्रभावित होंगे।

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