SEBI ने काफी सोच-विचार के बाद अपने इनवेस्टमेंट एडवाइजर रेगुलेशंस में बदलाव किए थे। मार्केट रेगुलेटर ने इनवेस्टर्स के हित में यह कदम उठाया था। उसका मानना था कि इससे इनवेस्टमेंट एडवाइजर्स की क्वालिटी में भी इजाफा होगा। लेकिन, कंप्लायंस बढ़ जाने की वजह से इनवेस्टमेंट एडवाइस के प्रोफेशन में लोगों की दिलचस्पी घट गई। सेबी के कदम का यह एक तरह से साइट इफेक्ट था। इनवेस्टमेंट एडवाइस की भी जरूरत तब बढ़ जाती है, जब लोगों की कमाई बढ़ती है। जब लोगों की कमाई नहीं बढ़ रही होती है तो इनवेस्टमेंट इडवाइस की जरूरत लोगों को नहीं रह जाती है।
इनवेस्टमेंट एडवाइस लेने में दिलचस्पी नहीं दिखाने से इनवेस्टर्स को काफी नुकसान – investors lose opportunity to get handsome return ignoring investment advice
क्वालिटी इनवेस्टमेंट एडवाइजर की कमी
लेकिन, कोरोना की महामारी के बाद फिर से लोगों की इनकम बढ़ने लगी है। इसलिए इनवेसमेंट एडवाइस में भी लोगों की दिलचस्पी बढ़ रही है। लोग अच्छी क्वालिटी का एडवाइस चाहते हैं। लेकिन, इसकी बहुत कमी है। एक सही रजिस्टर्ड इनवेस्टमेंट एडवाइजर (RIA) की दिलचस्पी क्लाइंट के हित में होनी चाहिए। एक सिंपल डिस्ट्रिब्यूटर की जगह एक RIA का फाइनेंशियल नॉलेज और एक्सपीरियंस के मामले में क्षमतावान होना जरूरी है। इसके एवजह में RIA एडवाइस के बदले फीस चार्ज करता है। उसे किसी एसेट मैनेजमेंट कंपनी की तरफ से कोई कमीशन नहीं मिलता है। इससे हितों के टकराव की स्थिति पैदा नहीं होती है।
देश में सिर्फ 900 RIA
लेकिन, सेबी के इनवेस्टमेंट एडवाइजर्स के रेगुलेशन के आने के 10 साल बाद भी देश में RIA की संख्या 900 से थोड़ा ही ज्यादा है। इसके कई कारण हैं। पहला, संभावित इनवेस्टमेंट एडवाइजर को यह डर रहता है कि लोग फीस नहीं चुकाएंगे। इसलिए वह इस प्रोफेशन में दिलचस्पी नहीं दिखाता है। इस डर की एक बड़ी वजह यह है कि इंडिया में शुरू से ही डिस्ट्रिब्यूटर्स लोगों को फाइनेंशियल एडवाइस देते आ रहे हैं। इसके लिए वे किसी तरह की फीस नहीं लेते हैं। डिस्ट्रिब्यूटर्स से एडवाइस लेने वाले लोगों को पता नहीं होता कि उनकी दिलचस्पी क्लाइंट के हित में नहीं होती है। उनकी दिलचस्पी अपने हित में होती है। 2020 में RIA के नियमों को और सख्त बना दिया गया।
फ्री इनवेस्टमेंट एडवाइस से इनवेस्टर का लॉस
इंडिया में फाइनेंशियल एडवाइस लेने में लोगों की दिलचस्पी बहुत कम रही है। इस वजह से ज्यादातर लोग इनवेस्टमेंट के सही फैसले नहीं ले पाते। एक गलत फैसला लंबी अवधि में बहुत नुकसान का कारण बन जाता है। इसलिए फाइनेंशियल लिट्रेसी का विस्तार भी नहीं होता। ज्यादातर लोग इनवेस्टमेंट के ट्रेडिशनल प्रोडक्ट्स में निवेश जारी रखते हैं, जिससे वे ज्यादा रिटर्न कमाने के मौके चूक जाते हैं। मार्केट रेगुलेटर को हालात को देखते हुए ऐसे कदम उठाने होंगे, जिससे फाइनेंशियल एडवाइस में इनवेस्टर्स की दिलचस्पी बढ़े।