स्टॉक ब्रोकरों और क्लीयरिंग मेंबर्स अब क्लाइंट्स के पैसों को गारंटी के रूप में बैंकों के पास गिरवी नहीं रख सकते हैं। मार्केट रेगुलेटर सेबी (SEBI) ने एक हालिया सर्कुलर में यह आदेश जारी किया है। नया नियम आगामी 1 मई 2023 से लागू होगा। इस कदम का मकसद क्लाइंट्स के फंड का इस्तेमाल कर ब्रोकर्स की ओर से अत्याधिक लाभ लिए जाने पर रोक लगाना है। इससे निवेशकों के हितों को सुरक्षित रखने में मदद मिलेगी। फिलहाल ब्रोकर्स अपनी जरूरत के हिसाब से क्लाइंट्स के फंड्स को बैंकों के पास गांरटी के रूप में रख देते हैं।
SEBI का नया नियम, अब क्लाइंट्स के पैसों को बैंकों में गिरवी नहीं रख पाएंगे स्टॉक ब्रोकर्स – Sebi new rules bars stocks brokers from pledging clients funds with banks
इसके बदल में बैंक उन्हें अधिक राशि के लिए क्लीयरिंग कॉरपोरेशन को बैंक गारंटी जारी करते हैं। SEBI ने यह कहा कि यह तरीका बाजार और खासतौर से ग्राहकों के पैसे को जोखिम में डालता है।
SEBI ने कहा, “इसलिए विभिन्न हितधारकों के साथ विचार-विमर्श के बाद, SEBI ने 1 मई से ग्राहकों के फंड से बैंक गारंटी बनाने की अनुमति नहीं देने का फैसला किया है।” इसके अलावा ग्राहकों के फंड से बनाई गई मौजूदा बैंक गारंटी को इस साल 30 सितंबर तक समाप्त कर दिया जाएगा।
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रेगुलेटर ने यह भी साफ किया है कि इस फ्रेमवर्क के प्रावधान किसी भी सेगमेंट में स्टॉक ब्रोकर्स और क्लियरिंग मेंबर्स के प्रोपराइटरी फंड्स पर लागू नहीं होंगे। साथ ही क्लीयरिंग मेंबर्स के पास स्टॉक ब्रोकर का कोई भी प्रोपराइटरी फंड्स भी इस सर्कुलर के प्रावधानों को आकर्षित नहीं करेगा।
इसके अलावा, स्टॉक एक्सचेंजों और क्लीयरिंग हाउसों पर अतिरिक्त निगरानी और रिपोर्टिंग का बोझ भी डाला गया है। इस वर्ष 1 जून से, एक्सचेंजों और क्लीयरिंग हाउसों के लिए कोलैटरल डेटा जमा करना अनिवार्य हो जाएगा, जिसमें बैंक गारंटी सहित अन्य चीजों की जानकारी देनी होगी।