अनुभवी निवेशक राजीव जैन (Rajiv Jain) की इनवेस्टमेंट फर्म जीक्यूजी पार्टनर्स (GQG Partners) ने अदाणी ग्रुप (Adani Group) में अपनी हिस्सेदारी करीब 10% बढ़ा दी है। साथ ही उसने आगे भी अदाणी ग्रुप की फंडिंग योजनाओं में भाग लेने की बात कही है। इस निवेश के साथ राजीव जैन ने अरबपति उद्योगपति गौतम अदाणी की अगुआई वाले कारोबारी में ग्रुप में अपना निवेश लगभग दोगुना कर लिया है और उन्होंने इसे ‘भारत में उपलब्ध सबसे बेहतरीन इंफ्रास्ट्रक्चर इनवेस्टमेंट’ बताया है। राजीव जैन, GQG पार्टनर्स के चीफ इनवेस्टमेंट ऑफिसर है। उन्होंने एक इंटरव्यू में कहा, “अगले 5 साल में हम फैमिली के बाद, वैल्यूएशन के आधार पर अदाणी ग्रुप के सबसे बड़े निवेशकों में से एक बनना चाहेंगे।”
GQG Partners: अदाणी ग्रुप में फिर किया अरबों डॉलर का निवेश, 10% बढ़ाई हिस्सेदारी, अगले 5 साल के लिए बड़ा प्लान – Rajiv Jain GQG Partners raises stake in Adani group by 10 percent and will take part in future funding
उन्होंने कहा, “हम निश्चित रूप से अडानी समूह की किसी भी नई पेशकश में भागीदार बनना चाहेंगे।” जैन ने कहा कि GQG पार्टनर्स की अडानी ग्रुप में निवेश की वैल्यू करीब 3.5 अरब डॉलर के करीब था। हालांकि उन्होंने यह नहीं बताया कि उन्होंने किन अदाणी ग्रुप की किन कंपनियों में खरीदारी की या इसमें से कितना निवेश किया और कितना वैल्यू शेयरों में तेजी से बना है।
इससे पहले GQG पार्टनर्स ने मार्च में एक फैमिली ट्रस्ट के जरिए अदाणी ग्रुप की 4 कंपनियों में करीब 2 अरब डॉलर के शेयर खरीदे थे। इस शुरुआती निवेश ने अदाणी ग्रुप की कंपनियों को मजबूती दी, जो हिंडनबर्ग के झटके से उबरने की कोशिश कर रही थीं। अमेरिका की शॉर्ट-सेलर फर्म हिंडनबर्ग रिसर्च ने इस साल की शुरुआत में अदाणी ग्रुप पर शेयरों में हेरफेर और अकाउंटिंड फ्रॉड का आरोप लगाते हुए एक रिपोर्ट जारी किया था, जिसके बाद अदाणी ग्रुप की मार्केट वैल्यू एक समय 150 अरब डॉलर से अधिक घट गई थी।
राजीव जैन भारतीय मूल के हैं, लेकिन वह अमेरिका के फ्लोरिडा में स्थित फोर्ट लॉडरडेल से काम करते हैं। जैन ने कहा कि वह हिंडनबर्ग के आरोपों को लेकर चिंतित नहीं है, जिसे अदाणी ग्रुप ने बार-बार नकारा है। उन्होंने कुछ समय ब्लूमबर्ग को दिए एक इंटरव्यू में कहा, “अपने 30 साल के निवेश करियर में, मुझे अभी तक कोई आदर्श कंपनी नहीं मिली है।”
जैन ने अदानी ग्रुप के बिजनेस की ओर इशारा करते हुए अपने निवेश को सही ठहराया है, जिसमें कोल माइनिंग से लेकर और एयरपोर्ट्स एसेट्स तक शामिल है, जो भारत के विकास लक्ष्यों से जुड़ी हैं। भारत सरकार भी घरेलू इंफ्रास्ट्रक्चर को बढ़ावा देने और चीन जैसी जगहों से मैन्युफैक्चरिंग को अपने देश में लाने के लिए बिजनेस हाउसों को प्रेरित कर रही है।