NSE के एक्टिव यूजर्स (Active Users) की संख्या अप्रैल में गिरकर 3.12 करोड़ रह गई। मार्च में यह 3.27 करोड़ रुपये थी। अप्रैल में लगातार 10वें महीने एनएसई के एक्टिव यूजर्स की संख्या घटी है। अप्रैल में 15 लाख अकाउंट्स की गिरावट मार्च के 9 लाख अकाउंट की गिरावट के मुकाबले काफी ज्यादा है। ब्रोकरेज फर्म मोतीलाल ओसवाल ने अपनी रिपोर्ट में यह बताया है। एक्टिव यूजर का मतलब ऐसे यूजर से है, जिसने बीते एक साल में कम से कम एक बार ट्रेड किया है। एक्सपर्ट्स का कहना है कि अनिश्चित आर्थिक माहौल, एक साल में कमजोर रिटर्न और ट्रेडिंग में रिटेल निवेशकों (Retail Investors) की घटती दिलचस्पी की वजह से एक्टिव यूजर की संख्या में गिरावट आ रही है।
NSE के एक्टिव यूजर्स की संख्या अप्रैल में लगातार 10वें महीने घटी, जानिए एनालिस्ट्स क्या बता रहे हैं इसकी वजह – nse active users number is falling down it dips 10th month in a row know the reasons
जुलाई से लगातार आ रही गिरावट
जुलाई 2022 से ही एक्टिव यूजर्स की संख्या में लगातार गिरावट आ रही है। पिछले 10 महीनों में इंडियन स्टॉक का प्रदर्शन बहुत अच्छा नहीं रहा है। मार्केट में काफी उतार-चढ़ाव देखने को मिला है। बाजार में उतार-चढ़ाव का असर नए इनवेस्टर्स पर पड़ता है, जो अक्सर कम पूंजी के साथ बाजार में दाखिल होते हैं। फिर, लॉस होने पर हमेशा के लिए मार्केट से दूर हो जाते हैं। मार्केट की दिशा का अंदाजा नहीं लगा पाने की वजह से अक्सर नए निवेशकों को नुकसान उठाना पड़ता है।
मार्केट के खराब प्रदर्शन का असर
Finrex Treasury Advisors के एनालिस्ट अनिल कुमार भंसाली ने कहा, “अक्टूबर 2022 से ही मार्केट का रिटर्न खासकर आईटी स्टॉक्स का रिटर्न अच्छा नहीं रहा है। मार्केट पार्टिसिपेंट्स लंबे समय से इन स्टॉक्स में फंसे हुए हैं।” मार्च 2023 से पहले के 10 महीनों में मार्केट में चढ़ने और गिरने वाले शेयरों के अनुपात की बात करें तो गिरने वाले शेयरों का अनुपात ज्यादा रहा है। ज्यादातर कंपनियों के शेयर अपनी पिछली रेंज में बने रहे हैं। इससे उनमें खास मूवमेंट नहीं दिखा है।
छोटे निवेशकों का पैसा बाजार में फंसा
भंसाली ने कहा, “ऐसा लगता है कि स्मॉल इनवेस्टर्स का पैसा इन स्टॉक्स में फंस गया है, जिसकी वजह से एनएसई में एक्टिव यूजर्स की संख्या में कमी आई है।” फाइनेंशियल ईयर 2022-23 में सेंसेक्स ने 0.7 फीसदी रिटर्न दिया, जबकि Nifty का रिटर्न 0.6 फीसदी रहा। BSE मिड और स्मॉलकैप सूचकांकों में क्रमश: 0.18 फीसदी और 4.46 फीसदी की गिरावट आई। विदेशी संस्थागत निवेशकों ने FY23 में 6.64 अरब डॉलर के शेयर बेचे। एक दूसरी वजह यह है कि ऑप्शंस सेलर्स के लिए हालिया महीनों में माहौल बहुत चैलेंजिंग रहा है। इसकी वजह जयादा उतार-चढ़ाव है।
मार्जिन के नए नियमों का भी असर
एल्गोरिद्म आधारित एडवायजरी प्लेटफॉर्म Hedged के सीईओ और फाउंडर राहुल घोष ने कहा, “दोनों दिशाओं में ज्यादा स्विंग की वजह से काफी ज्यादा मार्क-टू-मार्केट (MTM) लॉस हो सकता है। इससे इनवेस्टर्स की कैपिटल में कमी आ सकती है। पर्याप्त हेजिंग नहीं होने पर ऑप्शंस सेलिंग में असीमित लॉस का रिस्क होता है। इसके अलावा मार्जिन के नए नियम का असर भी इनवेस्टर्स पर पड़ा है। नए नियमों के तहत मिनिमम 50 फीसदी कैश कंपोनेंट जरूरी है। “