रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया (RBI) ने 8 जून को हुई अपनी मॉनिट्री पॉलिसी की मीटिंग में रेपो रेट (Repo rate) में कोई बदलाव नहीं किया है। रिजर्व बैंक ने रेपो रेट को 6.5 फीसदी पर ही अपरिवर्तित रखा है। HDFC सिक्योरिटीज के हेड ऑफ रिसर्च दीपक जसानी का कहना है कि फरवरी 2024 से पहले रिजर्व बैंक की तरफ से रेपो रेट में कटौती की उम्मीद नजर नहीं आ रही है। लिक्विडिटी सरप्लस मोड में है और यह 2,000 के नोटों के बंद होने के बाद से और भी ज्यादा बढ़ गई है।
RBI अगले साल फरवरी से पहले नहीं करेगी रेपो रेट में कटौती, जानें क्या है इसके पीछे की बड़ी वजह – RBI will not cut repo rate before February next year know what is the main reason behind this
इस वजह से रेपो रेट में नहीं हुआ बदलाव
दीपक जसानी का मनना है कि इस वक्त रेपो रेट में बदलाव लिक्विडिटी के हिसाब से नहीं किया जा सकता है। 12 महीनों के पूर्वानुमान के बाद भी CPI इंडेक्स अभी भी 4 फीसदी के लक्ष्य से ज्यादा पर बना हुआ है। महंगाई में लगातार हो रहे सुधार एक सामान्य स्थिति में बदलाव का संकेत दे सकता है। हालांकि बाजार FOMC की भाविष्य की कार्रवाई को लेकर बंटा हुआ है। हम मानते हैं कि जब तक कुछ बाहरी बदलाव या अल नीनो जैसी स्थिति नहीं आती है तब तक हालात ऐसे ही रहेंगे।
इस वजह से कम हुई है महंगाई
खाने-पीने के सामानों की कीमतों में कमी की वजह से भारत की खुदरा महंगाई दर (Retail Inflation) में गिरावट देखने को मिली है। यह 4.7 फीसदी तक कम हो गई है। मई के रुझानों से भी यही पता चल रहा है कि यह अभी और नीचे जा सकती है। महंगाई पर हाई बेस इफेक्ट के अभी कुछ महीनों तक जारी रहने की संभावना है।
IMD ने मानसून को लेकर जताई है संभावना
IMD ने अपने लंबी अवधि के लिए मॉनसून की संभावनाओं को 96 प्रतिशत पर बरकरार रखा है। लेकिन मानसून के बाद वाले हिस्से में अल नीनो के विकसित होने की प्रबल संभावना है। हालांकि पिछले समय में देखें तो अल नीनो हमेशा ही महंगाई बढ़ने की वजह नहीं रहा है। इसके अलावा ओपेक देशों की तरफ से तेल उत्पादन में कटौती से भी महंगाई बढ़ सकती है। साथ ही जियो पॉलिटिकल दिक्कतों की वजह से ग्लोबल कमोडिटी की कीमतों पर असर पड़ सकता है।
RBI ने महंगाई पर घटाया था अपना अनुमान
इनपुट प्राइस दबावों में तेजी से कमी देखने को मिली है। WPI जीरो से नीचे हैं जो कि कंज्यूमर प्राइस इंडेक्स (CPI) के नरम होने की संभावना का संकेत देता है। सर्विस क्षेत्र में भी महंगाई कम बनी हुई है। साल 2023 में अल नीनो की स्थिति को देखते हुए RBI सतर्क बना हुआ है। रिजर्व बैंक ने FY 2024 के लिए महंगाई के अनुमान को 10 बेस प्वाइंट से कम करके 5.1 प्रतिशत पर कर दिया है। वहीं बाहरी मांग में कमी और अनिश्चित वित्तीय स्थिति वित्त वर्ष 24 में वास्तविक GDP वृद्धि को 6.5 प्रतिशत तक ले जाएगी। कमजोर वैश्विक विकास, आरबीआई की दर में वृद्धि का प्रभाव और मानसून के मौसम के दौरान अल-नीनो की स्थिति का विकास वित्त वर्ष 24 में सकल घरेलू उत्पाद की वृद्धि के लिए महत्वपूर्ण जोखिम हैं।
सभी देशों में बनी हुई है महंगाई
दीपक जसानी का कहना है कि सभी देशों में महंगाई नीचे की ओर गई है। हालांकि अभी भी यह लक्ष्य से ऊपर बनी हुई है। ज्यादा वक्त तक हाई रेट से इंटरेस्ट रेट में अंतर बढ़ेगा जिससे कि उभरते बाजारों के केंद्रीय बैंकों के लिए फिलहाल इंटरेस्ट रेट में कटौती करना मुश्किल लग रहा है। RBI के गवर्नर ने अपने वक्तव्य में 4 फीसदी की महंगाई दर को पाने पर फोकस किया है।
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