HMA Agro Industries का आईपीओ कल यानी 20 जून को सब्सक्रिप्शन के लिए खुलने वाला है। कंपनी ने आईपीओ लॉन्च से पहले यानी आज 19 जून को एंकर निवेशकों से 144 करोड़ रुपये जुटा लिए हैं। फ्रोजन बफैलो मीट प्रोडक्ट्स एक्सपोर्ट करने वाली इस कंपनी ने एक्सचेंजों को फाइलिंग में बताया है कि उसने 585 रुपये प्रति शेयर के भाव पर एंकर निवेशकों को 24.61 लाख शेयर आवंटित किए हैं। इस आईपीओ के लिए 555-585 रुपये प्रति शेयर का प्राइस बैंड रखा गया है। कंपनी इसके ज़रिए 480 करोड़ रुपये जुटाना चाहती है।
HMA Agro Industries IPO : आईपीओ खुलने से पहले कंपनी ने एंकर निवेशकों से जुटाए 144 करोड़, जानिए डिटेल
इन एंकर निवेशकों ने किया निवेश
एंकर बुक में भाग लेने वाले निवेशकों में क्राफ्ट इमर्जिंग मार्केट फंड पीसीसी, मिनर्वा वेंचर्स फंड, फोर्ब्स ईएमएफ, कोयस कैपिटल ऑपर्च्युनिटीज फंड, रेडिएंट ग्लोबल फंड और एब्सोल्यूट रिटर्न्स स्कीम शामिल हैं। क्राफ्ट इमर्जिंग मार्केट फंड पीसीसी इनमें से सबसे बड़ा निवेशक है, जिसने HMA Agro में सिटाडेल कैपिटल फंड और एलीट कैपिटल फंड के जरिए 70 करोड़ रुपये का निवेश किया है।
आईपीओ से जुड़ी डिटेल
इस आईपीओ के तहत 150 करोड़ रुपये के फ्रेश इक्विटी शेयर जारी किए जाएंगे। इसके अलावा, प्रमोटर्स 330 करोड़ रुपये के शेयरों की बिक्री ऑफर फॉर सेल (OFS) के तहत करेंगे। यानी ऑफर का करीब 70 फीसदी पैसा प्रमोटर्स के पास जा रहा है। वाजिद अहमद, गुलजार अहमद, मोहम्मद महमूद कुरैशी, मोहम्मद अशरफ कुरैशी, जुल्फिकार अहमद कुरैशी और परवेज आलम प्रमोटर हैं जो ऑफर फॉर सेल में भाग ले रहे हैं।
कहां होगा फंड का इस्तेमाल
कंपनी आईपीओ से मिलने वाले फंड का इस्तेमाल सामान्य कॉर्पोरेट उद्देश्यों के लिए करेगी। इसके अलावा, वर्किंग कैपिटल जरूरतों के लिए 135 करोड़ रुपये खर्च किए जाएंगे। हालांकि, कंपनी को ऑफर फॉर सेल से कोई इनकम प्राप्त नहीं होगी। ऑफर फॉर सेल का पूरा फंड सेलिंग शेयरहोल्डर्स के पास जाएगा।
कंपनी के बारे में
ब्रिकवर्क्स एनालिटिक्स रिपोर्ट के अनुसार, एचएमए एग्रो इंडस्ट्रीज वर्तमान में भारत से फ्रोजन बफैलो मीट प्रोडक्ट्स के सबसे बड़े निर्यातकों में से एक है। कंपनी भारत के फ्रोजन बफैलो मीट के कुल निर्यात का 10 फीसदी हिस्सा निर्यात करती है। इसके प्रोडक्ट्स को मुख्य रूप से ब्लैक गोल्ड, कामिल और एचएमए ब्रांड नाम के तहत पैक किया जाता है और दुनिया भर में 40 से अधिक देशों में निर्यात किया जाता है।
कंपनी मुख्य रूप से बफैलो मीट और इससे जुड़े प्रोडक्ट्स पर काम करती है। कंपनी का लगभग 97 फीसदी राजस्व इसी से आता है। मछली और राइस सेगमेंट का मीट बिजनेस की तुलना में राजस्व में बहुत कम हिस्सा है।