पैसिवली मैनेज्ड फंड्स में काफी निवेश आ रहा है। इंडेक्स फंड्स और एक्सचेंज-ट्रेडेड फंड्स (ETF) पैसिवली मैनेज्ड फंड्स के उदाहरण हैं। इनमें पिछले एक साल में काफी पैसे आए हैं। इसकी वजह इन फंडों को लेकर निवेशकों की धारणा है। पहला, उन्हें लगता है कि इंडेक्स फंड में निवेश करने में रिस्क कम है। दूसरा, एक्टिवली मैनेज्ड फंड्स का रिटर्न कभी मार्केट से ज्यादा नहीं रहता है। Value Research के सीईओ धीरेंद्र कुमार का कहना है कि निवेशकों की दोनों ही धारणाएं गलत हैं। उन्होंने कहा कि इंडेक्स फंड्स उतने ही रिस्की हैं, जितने एक्टिविली मैनेज्ड फंड और कई एक्टिविली मैनेज्ड फंडों ने बेंचमार्क से ज्यादा रिटर्न दिए है। कुमार ने मनीकंट्रोल से बातचीत में म्यूचुअल फंड इनवेस्टमेंट से जुड़े कई मसलों पर व्यापक चर्चा की।
Index Fund में ज्यादा इनवेस्टमेंट मार्केट के लिए ठीक नहीं, जानिए वैल्यू रिसर्च के सीईओ धीरेंद्र कुमार ने क्यों कही यह बात
कुमार ने कहा कि इंडेक्स फंड्स में ज्यादा निवेश आने से सूचकांक चढ़ रहे हैं। सूचकांकों में तेजी से इनवेस्टमेंट और बढ़ रहा है। हर महीने इंडेक्स फंड में करीब 15,000 करोड़ रुपये का निवेश हो रहा है। इसका मतलब है कि विदेशी संस्थागत निवेशकों (FII) की बिकवाली की स्थिति में भी बाजार नहीं गिरेगा। इंडेक्स मेकर्स को रेगुलेट करने की जरूरत है, क्योंकि यह बिजनेस अब सीरियस हो रहा है। अब उन्हें एक मेथडोलॉजी तैयार करनी होगी। उसके बारे में विस्तार से बताना होगा। उन्हें अपनी मेथडलॉजी के आधार के बारे में भी बताना होगा।
उन्होंने कहा कि कुछ साल पहले तक हमें यह लगता था कि लंबे समय तक इंडेक्सिंग (Indexing) की ग्रोथ सुस्त बनी रहेगी। इसकी वजहें स्पष्ट थीं। इंडिया एक उभरती हुई इकोनॉमी है। मार्केट बड़ा है, लेकिन गहराई कम है। अगर आप पिछले कई सालों को देखें तो म्यूचुअल फंड्स के ज्यादातर इनवेस्टर्स ने मल्टीकैप फंड, फ्लेक्सीकैप फंड और लार्जकैप फंडों में पैसे बनाए हैं। इंडेक्स में जब पैसे आते हैं तो वह चढ़ना शुरू कर देता है। इससे उसमें और ज्यादा निवेश आता है। यही चीज हम अमेरिका में देख रहे हैं। अब हमारे इंडेक्स में भी ऐसी स्थिति दिख रही है।
कुमार ने बताया कि EPFO का पैसा इंडेक्स फंड्स में जा रहा है। अभी इंडेक्स फंड्स में सिर्फ ईपीएफओ का निवेश करीब 3.2 लाख करोड़ है। करीब 5-6 साल पहले म्यूचुअल फंड इंडस्ट्री का कुल इक्विटी एसेट्स करीब 2.5 लाख करोड़ रुपये था। अब निवेश करने के लिए करीब 3000 स्टॉक्स हैं। लेकिन, इनमें से 800 से कम में संस्थागत निवेशकों का इनवेस्टमेंट है। बढ़ते डिसक्लोजर्स और बेहतर रूल्स के बावजूद इंडियन मार्केट्स की गहराई नहीं बढ़ी है। इसी वजह से मेरा मानना है कि एक्टिवली मैनेज्ड फंडों का प्रदर्शन बेहतर रहना चाहिए।
फंडों के प्रदर्शन के बारे में उन्होंने कहा कि बीते 10 साल में लार्जकैप फंडों का औसत रिटर्न 13.61 फीसदी रहा है। लार्ज और मिडकैप फंड का औसत रिटर्न 16.6 फीसदी रहा है। फ्लेक्सीकैप ने 15.36 फीसदी रिटर्न दिया है। मिडकैप ने 19.58 फीसदी, स्मॉलकैप ने 21.57 फीसदी और वैल्यू ओरिएंटेड फंडों ने 16 फीसदी रिटर्न दिया है। अगर हम लार्जकैप को एक इंडेक्स मान लें तो दूसरी सभी कैटेगरी का प्रदर्शन इससे ज्यादा रहा है। 10 साल की अवधि में 13.6 फीसदी और 16.6 फीसदी के बीच का फर्क कम नहीं है।