ITR फाइल करते समय ये 5 गलतियां कीं, तो मिल सकता है टैक्स विभाग का नोटिस

फाइनेंशियल ईयर 2022-23 (असेसमेंट ईयर 2023-24) के लिए इनकम टैक्स रिटर्न भरने का काउंडाउन शुरू हो चुका है। आपको अपना रिटर्न 31 जुलाई तक भरना होगा या फिर आपको लेट रिटर्न फाइल करने पर 5,000 रुपये जुर्माना भरना होगा। आइए, हम आपको बताते हैं कि रिटर्न भरते समय क्या करें और क्या नहीं करें:

टैक्स रिफंड के लिए फर्जी छूट क्लेम नहीं करे

इस साल वेतनभोगी तबके पर भी इकनम टैक्स की खास नजर है। क्लेम की गई कटौतियों पर कई लोगों को नोटिस भेजा गया है और उनसे दस्तावेजी सबूत मांग गए हैं। मनीकट्रोल (Moneycontrol) पहले भी बता चुका है कि कुछ टैक्सपेयर्स उन कटौतियों के लिए भी क्लेम करते हैं, जो उनके फॉर्म 16 में मौजूद नहीं हैं।

चूंकि आईटी रिटर्न भरते वक्त किसी तरह का दस्तावेजी सबूत नहीं मांगा जाता है, इसलिए कुछ लोग टैक्स रिफंड में छूट का गलत इस्तेमाल करते हैं। हालांकि, ऐसे में इनकम टैक्स विभाग से नोटिस मिल सकता है। हाल में ऐसा देखने को भी मिला है। लिहाजा, रिटर्न फाइल करते समय ईमानदारी बरतना सबसे बेहतर विकल्प है।

आमदनी के कई स्रोत होने पर सावधानी बरतना जरूरी

हैदराबाद के चार्टर अकाउंटेंट और सोमू एंड एसोसिएट्स के फाउंडर नागाचंद्र रेड्डी (Nagachandra Reddy) कहते हैं, ‘कई टैक्सपेयर सोशल मीडिया प्लैटफॉर्म पर मौजूद रिटर्न भरने के बारे में बताने वाली रील और वीडियो देखकर उस पर अमल करने लगते हैं। ऐसा करने पर वे रिटर्न भरने में गलती कर बैठते हैं और उन्हें ज्यादा टैक्स चुकाना पड़ता है।’ अगर आप शेयर और क्रिप्टो करेंसी में डील करते हैं या आपने म्यूचुअल फंड यूनिट्स बेची हैं, तो आपको रिटर्न में सावधानी बरतने की जरूरत है। अगर आप इन चीजों का ब्यौरा नहीं देते हैं, तो आपको टैक्स विभाग की तरफ से नोटिस मिल सकता है और जुर्माना भी भरना पड़ सकता है। अगर आपको यह प्रक्रिया जटिल लगती है, तो टैक्स प्रोफेशनल की मदद लेना न भूलें।

इंटरेस्ट इनकम, कैपिटल गेन्स की सही जानकारी दें

वेतनभोगी एंप्लॉयीज के लिए रिटर्न भरने में फॉर्म 16 अहम दस्तावेज है। हालांकि, कई इनकम फॉर्म-16 में नहीं दिखते। मसलन हो सकता है कि बचत खाते पर मिलने वाला ब्याज इसमें नहीं दिखे। बचत खाते पर 10,000 रुपये तक का सालाना ब्याज टैक्स फ्री है।

यह भी हो सकता है कि शेयरों या म्यूचुअल फंड यूनिट्स की बिक्री से होने वाले कैपिटल गेन्स भी फॉर्म 16 में नहीं दिखें। नतीजतन, ऐसे इनकम के बारे में जानकारी नहीं देने पर आपको इनकम टैक्स विभाग का नोटिस मिल सकता है। हालांकि, एन्युअल इंफॉर्मेशन स्टेटमेंट (AIS) में अब सारे इनकम की जानकारी मौजूद होती है। टैक्स कंसल्टेंसी पोर्टल TaxBirbal के डायरेक्टर चेतन चांडक कहते हैं, ‘एन्युअल इंफॉर्मेशन सिस्टम के प्रचलन में आने के बाद इनकम के बारे में गलत जानकारी मुहैया कराना महंगा पड़ सकता है।’

सही ITR फॉर्म चुनें

आपकी इनकम के स्रोत के आधार पर यह तय होगा कि आपको कौन सा आईटीआर फॉर्म इस्तेमाल करना चाहिए। अगर आप नौकरी करते हैं और कैपिटल गेन्स से भी आपकी इनकम है , तो आपको रिटर्न भरने के लिए ITR-2 का इस्तेमाल करना होगा। अगर आप नौकरी करते हैं, आपकी इनकम 50 लाख से ज्यादा है और आपकी इनकम में रेंटल इनकम, अनलिस्टेड शेयर, फॉरेन इनकम व एसेट और क्रिप्टो ट्रांजैक्शन शामिल हैं, तो भी आपको ITR-2 भरना होगा।

ITR-1 फॉर्म उन लोगों के लिए है, जिनके पास वेतन के अलावा एक घर है, ब्याज से इनकम होती है और कृषि संबंधी इनकम 5,000 रुपये कम है। साथ ही, कुल इनकम 50 लाख से कम होनी चाहिए। गलत आईटी फॉर्म का इस्तेमाल करने पर आपको फिर से रिटर्न भरने के लिए नोटिस मिल सकता है और समय पर जवाब नहीं देने पर आपका रिटर्न अमान्य करार दिया जा सकता है।

वेरिफिकेशन प्रोसेस को न भूलें

अगर आपको लगता है कि रिटर्न सबमिट करने के बाद इसकी प्रक्रिया खत्म हो गई है, तो यह जानकारी सही नहीं है। इस प्रोसेस को पूरा करने के लिए आपको रिटर्न भरने के 30 दिनों के भीतर इसे वेरिफाई करना होगा। आप आधार नंबर, बैंक खाते, डीमैट खाते आदि का इस्तेमाल कर इनकम विभाग के पोर्टल द्वारा ऐसा कर सकते हैं।

वेरिफिकेशन में समयसीमा का पालन करना भी जरूरी है। अगर आप अपना रिटर्न ऑनलाइन फाइल करने के 30 दिनों के बाद इसे वेरिफाई करते हैं, तो वेरिफिकेशन की तारीख को ही रिटर्न फाइल करने की तारीख माना जाएगा। ऐसे में अगर आप 31 जुलाई को रिटर्न वेरिफाई करते हैं, तो आप पर देरी से रिटर्न फाइल करने के मामले में जुर्माना भी लग सकता है।

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