भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने ओवरसीज इन्वेस्टमेंट की देर से जानकारी देने को लेकर 4 सरकारी कंपनियों पर जुर्माना लगाया है। इन कंपनियों में ONGC विदेश लिमिटेड (OVL), इंडियन ऑयल कॉर्पोरेशन लिमिटेड, GAIL (इंडिया) लिमिटेड और ऑयल इंडिया लिमिटेड शामिल हैं। इन चारों कंपनियों को 2000 करोड़ रुपये का लेट सबमिशन फीस (LSF) देना होगा। इसका मतलब है कि प्रत्येक कंपनी पर 500-500 करोड़ का जुर्माना लगाया गया है। मामले की परिचित दो सूत्रों ने यह जानकारी दी है।
RBI ने चार सरकारी कंपनियों पर लगाया 2000 करोड़ का जुर्माना, ओवरसीज इन्वेस्टमेंट की लेट रिपोर्टिंग से जुड़ा है मामला
रिपोर्ट के मुताबिक कंपनियां अब केंद्रीय बैंक से एक्सटेंशन हासिल करने का प्रयास कर रही हैं। RBI के इस कदम से सरकारी कंपनियों के ओवरसीज वर्क कमिटमेंट्स पर असर पड़ सकता है। इसमें कहा गया है कि केंद्रीय बैंक नरमी बरत सकता है ताकि ऑपरेशन प्रभावित न हो।
कथित तौर पर ऑयल मिनिस्ट्री का मानना है कि ओवरसीज इन्वेस्टमेंट की रिपोर्ट करने की जिम्मेदारी ऑथराइज्ड डीलर बैंक की है, जो इन 4 सरकारी कंपनियों के लिए भारतीय स्टेट बैंक (SBI) है। RBI के फॉरेन एक्सचेंज मैनेजमेंट (ओवरसीज इन्वेस्टमेंट) रेगुलेशन 2022 के अनुसार, जो लोग तय समय सीमा के भीतर इन्वेस्टमेंट इविडेंस जमा करने में विफल रहते हैं, वे लेट सबमिशन फीस के साथ ऐसा कर सकते हैं।
RBI के एक नोटिफिकेशन के मुताबिक, “भारत में रहने वाला कोई व्यक्ति जो रेगुलेशन 9 के सब-रेगुलेशन (1) के तहत तय समय के भीतर इन्वेस्टमेंट का सबूत पेश नहीं करता है या रेगुलेशन 10 के तहत तय समय के भीतर कोई फाइलिंग नहीं करता है, वह तय अवधि के भीतर लेट सबमिशन फीस के साथ सबमिशन या फाइलिंग कर सकता है।” हालांकि, केंद्रीय बैंक के अनुसार इस सुविधा का लाभ सबमिशन या फाइलिंग की नियत तारीख से अधिकतम तीन साल की अवधि के भीतर लिया जा सकता है।