SEBI ने 2020 में मल्टीकैप फंड्स के लिए नए नियम पेश किए थे। इसमें कहा गया था कि ऐसे फंडों को अपने पोर्टफोलियो का कम से कम 25-25 फीसदी निवेश लार्ज, मिड और स्मॉलकैप स्टॉक्स में करने होंगे। इसके कुछ ही दिन बाद मार्केट रेगुलेटर ने फ्लेक्सी-कैप कैटेगरी लॉन्च कर दी। इस कैटेगरी के फंड के लिए लार्ज, मिड या स्मॉलकैप स्टॉक्स में निवेश करने को लेकर किसी तरह की सीमा तय नहीं है। इसके बाद कई फंड फ्लेक्सी-कैप कैटेगरी में शिफ्ट हो गए। मल्टीकैप-कैटेगरी में बहुत कम फंड बच गए।
निवेशकों के फ्लेक्सी कैप बेचने और मल्टीकैप फंड्स खरीदने की क्या वजह है?
आज फ्लेक्सी-कैप फंड्स की संख्या 33 है। इसके मुकाबले मल्टीकैप फंड्स की संख्या 18 रह गई है। 2021 के अंत में यह 19 थी। मल्टीकैप फंड्स और फ्लेक्सी-कैप फंड्स में नेट फ्लो के ट्रेंड्स में फर्क दिख रहा है। खासकर पिछले तीन महीनों में ऐसा देखने को मिला है। पिछले तीन महीनों में मल्टी-कैप फंड्स में नेट इनफ्लो 3,340 करोड़ रुपये रहा है। इसके मुकाबले फ्लेक्सी कैप फंड्स में 1,371 करोड़ रुपये का नेट आउटफ्लो देखने को मिला है।
इस बारे में मनीकंट्रोल ने ऋषभ देसाई से बात की। देसाई रुपी विद ऋषभ इनवेस्टमेंट सर्विससेज के फाउंडर हैं। उन्होंने दोनों कैटेगरी के फंड्स के अलग ट्रेंड की वजह बताई। उन्होंने कहा कि दोनों कैटेगरी के फंड्स के निवेश से जुड़े नियमों में बड़ा फर्क है। मल्टीकैप फंड्स को लार्ज, मिड और स्मॉलकैप में कम से कम 25 फीसदी निवेश करना जरूरी है। लेकिन, फ्लेक्सी कैप फंडों के लिए मार्केट कैपिटलाइजेशन के मामले में किसी तरह का प्रतिबंध नहीं लगाया गया है।
मल्टीकैप फंड्स में रिस्क ज्यादा होता है, क्योंकि उन्हें हर समय मिड और स्मॉलकैप फंडों में कम से कम 50 फीसदी एलोकेशन बनाए रखना पड़ता है। अगर कोई निवेशक ज्यादा रिस्क लेना चाहता है तो वह मल्टी-कैप फंड्स में निवेश कर सकता है। जो निवेशक रिस्क नहीं लेना चाहते हैं वे फ्लेक्सी कैप फंड में निवेश कर सकते हैं। हालांकि, यह समझना होगा कि दोनों में रिस्क है और दोनों में लंबी अवधि तक निवेश को बनाए रखना जरूरी है। यह सही है कि मल्टीकैप फंड्स में रिस्क अपेक्षाकृत ज्यादा है।
ऐतिहासिक रूप से हमने देखा है कि मिड और स्मॉलकैप ने ज्यादा रिटर्न दिए हैं। लेकिन, लार्जकैप पोर्टफोलियो के लिए जरूरी है, क्योंकि इससे स्थिरिता मिलती है। इनमें मिडकैप और स्मॉलकैप के मुकाबले कम उतार-चढ़ाव देखने को मिलता है। फ्लेक्सी फंड्स को अच्छी तरह के मैनेज करने पर ज्यादा रिटर्न पाने की संभावना होती है।