Nifty PSU Bank Index: शेयर बाजार में कई दिनों बाद सोमवार को सुस्ती दिखी। सेंसेक्स 241 अंक लुढ़क गया। निफ्टी भी 20,150 के नीचे बंद हुआ। लेकिन इस दौरान एक सेक्टर ऐसा था, जिसने पूरे बाजार को संभाले रखा। यह सेक्टर है सरकारी बैंकों यानी PSU बैंक का। करीब 13 सालों के बाद निफ्टी PSU बैंक इंडेक्स ने ब्रेकआउट दिया है। इसके चलते सरकारी बैंकों के शेयर (PSU Bank Stocks) रॉकेट की तरह भागे हैं। इनफैक्ट, करीब 8 सरकारी बैंकों ने पिछले एक साल में मल्टीबैगर रिटर्न दिया है। इसमें से यूको बैंक का शेयर तो 223 फीसदी भागा है। बाकी इसके अलावा पंजाब सिंध बैंक, यूनियन बैंक ऑफ इंडिया, सेंट्रल बैंक ऑफ इंडिया, इंडियन बैंक, इंडियन ओवरसीज बैंक, बैंक ऑफ इंडिया, महाराष्ट्र बैंक ने पिछले एक साल में 100 पर्सेंट से ज्यादा का रिटर्न दिया है।
Nifty PSU Bank Index: 13 सालों के बाद ब्रेकआउट से रॉकेट बने शेयर, अब आगे कहां है कमाई का मौका?
इतने मल्टीबैगर स्टॉक्स के चलते निफ्टी PSU बैंक इंडेक्स का रिटर्न पिछले एक साल में 52% रहा है। जबकि इसके मुकाबले निफ्टी बैंक ने इस दौरान सिर्फ 12 फीसदी का रिटर्न दिया है। इससे साफ पता चलता है कि निवेशकों का प्राइवेट बैंकों की जगह सरकारी बैंकों के शेयरों पर फोकस बढ़ा है। इसके पीछे आखिर कारण क्या है, PSU बैंकों के शेयरों में इतनी क्यों तेजी आ रही है?
13 सालों के बाद ब्रेकआउट
निफ्टी PSU बैंक इंडेक्स में तेजी का पहला कारण टेक्निकल है। इस इंडेक्स ने 13 सालों के बाद एक ब्रेकआउट दिया है, यानी 13 सालों के स्तर को पार किया है। इस ब्रेकआउट के बाद जमकर खरीदारी हुई है। निफ्टी PSU बैंक इंडेक्स सोमवार इंट्राडे में 5,292 के स्तर तक पहुंच गया, जो इसका नया 52-वीक हाई है। ब्रेकआउट के चलते 8 से 15 सितंबर के दौरान निफ्टी PSU बैंक इंडेक्स में 7.2 फीसदी का उछाल आया, जबकि निफ्टी प्राइवेट बैंक इंडेक्स इस दौरान सिर्फ 2 पर्सेंट बढ़ा।
बैड लोन में सुधार
सरकारी बैंकों में तेजी का दूसरा बड़ा कारण फंडामेटल है। RBI ने साल 2015 में सरकारी बैंकों के बैड लोन को घटाने का बड़ा अभियान शुरू किया था और ये अब जाकर इनके लिए गेमचेंजर साबित हुआ है। सरकारी बैंकों का जो ग्रॉस NPA मार्च 2018 में 14.6 फीसदी था, वह दिसंबर 2022 में घटकर 5.53 फीसदी पर आ गया है। इनका नेट NPA तो 1 फीसदी के पास आ गया है, जिसकी इनकी बैलेंस शीट मजबूत हुई है और अब इनपर NPA का प्रेशर नहीं है। लोन राइट-ऑफ करने से भी एसेट-क्वालिटी बेहतर हुई है।
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मुनाफे में उछाल
तीसरा कारण यह है कि एसेट क्वालिटी सुधरने के बाद सरकारी बैंकों का मुनाफा बहुत तेजी से बढ़ा है। मतलब वित्त वर्ष 2015 से 2020 के दौरान सभी सरकारी बैंक 1.46 लाख करोड़ के घाटे में रहे थे, जबकि वित्त वर्ष 2021 से 2022 बस 2 सालों में इन्हें कुल 2 लाख करोड़ का मुनाफा दिया है। इस सबके चलते सरकारी बैंकों के स्टॉक्स में शानदार तेजी का माहौल बना है।
आगे किन सरकारी बैंकों में कमाई का मौका?
अब आते हैं स्टॉक्स पर। निफ्टी PSU बैंक इंडेक्स में ब्रोकरेज फर्मों के अभी जो टॉप-5 पसंदीदा शेयर हैं, उसमें स्टेट बैंक ऑफ इंडिया, पंजाब नेशनल बैंक, बैंक ऑफ बड़ौदा, कैनरा और यूनियन बैंक शामिल है। मॉर्गन स्टैनली ने SBI को इक्वल-वेट की रेटिंग देते हुए 670 रुपये का टारगेट प्राइस दिया है। वहीं LKP सिक्योरिटीज ने पंजाब नेशनल बैंक को 80 रुपये और कैनरा बैंक को 410 रुपये के टारगेट प्राइस के साथ खरीदने की सलाह दी है। बैंक ऑफ बड़ौदा को इमके ग्लोबल ने 260 रुपये का टारगेट दिया है। वहीं यूनियन बैंक को मोतीलाल ओसवाल 110 रुपये के टारगेट प्राइस के साथ खरीदने की सलाह दी है।
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