Tax Saving Tips: हर महीने TDS कटने से होते हैं परेशान, टैक्स बचाने के लिए इस्तेमाल करें ये टिप्स

Tax Saving Tips: क्या आप भी हर महीने अपनी सैलरी से TDS कटने से परेशान होते हैं। टीडीएस यानी टैक्स डिडक्शन एट सोर्स (Tax Deduction at Source) आपकी सैलरी से काटे जाने वाला एक टैक्स है। यही, TDS एफडी के ब्याज पर भी काटा जाता है। एंप्लॉयीज को कंपनी की तरफ से मिलने वाली सैलरी और बैंक की तरफ से आपकी एफडी पर मिलने वाले इंटरेस्ट पर TDS कटता है। आप भी इस TDS पर कटौती से बच सकते हैं और अपना टैक्स बचा सकते हैं।

कब लागू होता है टीडीएस?

अगर बैंक में फिक्स्ड डिपॉजिट पर मिलने वाला इंटरेस्ट एक फाइनेंशियल ईयर में 40,000 रुपये से अधिक होता है तो TDS काटता है। सीनियर सिटीजंस के मामले में यह लिमिट 50,000 रुपये है। कॉर्पोरेट बॉन्ड्स के मामले में 5000 रुपये या इससे ज्यादा के इंटरेस्ट पर TDS लागू होता है। कई बार ऐसी इनकम पर भी टीडीएस काट लिया जाता है, जो लिमिट से ज्यादा नहीं होती है। ऐसे मामले में इसे वापिस लेने के लिए टैक्सपेयर्स फॉर्म 15G या 15H भर सकते हैं, जिसका रिफंड मिलता है।

फॉर्म 15G क्या है?

60 वर्ष से कम आयु के व्यक्ति और HUF जिन्होंने फिक्स्ड डिपॉजिट में निवेश किया है। वह फॉर्म 15जी भर सकते हैं। इस फॉर्म को भरने से ब्याज पर टैक्स यानी TDS नहीं काटा जाएगा। 1961 के आयकर अधिनियम की धारा 197A का फॉर्म 15G मिलता है। इसके जरिये बैंक को आपकी सालाना आय के बारे में पता चलता है। इस फॉर्म के जरिये आप बैंक को अपनी ब्याज की आय से टीडीएस काटने से रोकने के लिए कह सकते हैं।

फॉर्म 15H क्या है?

60 साल से अधिक उम्र के लोग यानी सीनियर सिटीजन Fixed Deposit के ब्याज पर TDS कटने से बचने के लिए फॉर्म 15H भरते हैं। इस फॉर्म को जमा करने के बाद आपको बिना किसी कर कटौती के आपकी जमा पैसा यानी ब्याज मिलता है। यदि आप हर साल फॉर्म 15G जमा करते हैं, तो आपको TDS नहीं देना होगा।

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