Go First मामले की सुनवाई फिर NCLT की नई बेंच को ट्रांसफर, दिवालिया याचिका फाइल होने के बाद तीसरी बार

Go First Case: गो फर्स्ट की दिवालिया याचिका और इस मामले में लीज कंपनियों की ओर से दाखिल आवेदनों को सुनवाई के लिए फिर नेशनल कंपनी लॉ ट्राइब्यूनल (NCLT) की एक नई बेंच के पास ट्रांसफर कर दिया गया है। इस बेंच में 2 मेंबर हैं, जिसमें एक ज्यूडिशियल मेंबर महेंद्र खंडेलवाल और एक टेक्निकल मेंबर संजीव रंजन हैं। मई 2023 में इस याचिका के दाखिल होने के बाद यह तीसरी बार है, जब इसकी सुनवाई को एक नई बेंच ट्रांसफर किया गया है। Go First का मामला सबसे पहले NCLT के चेयरपर्सन जस्टिस (रिटायर्ड) रामलिंगम सुधारकर के सामने आया था। इसके बाद इसे जून में टेक्निकल मेंबर राहुल प्रसाद भटनागर की सदस्यता वाली बेंच को ट्रांसफर कर दिया गया था।

हालांकि अब नए बेंच में राहुल प्रसाद भटनागर की जगह टेक्निकल मेंबर के तौर पर संजीव रंजन को शामिल किया गया है। वहीं महेंद्र खंडेलवाल ज्यूडिशियल मेंबर के तौर पर इस बेंच में भी बनें रहेंगे।

पिछली बेंच ने 4 अक्टूबर को चेयरपर्सन से इस मामले को राष्ट्रपति के सामने रखने का अनुरोध किया था क्योंकि बेंच में फेरबदल के कारण खंडेलवाल और भटनागर अब एक साथ नहीं बैठ रहे हैं। उनकी राय थी कि चूंकि उन्होंने लीज कंपनियों के आवेदनों को काफी हद तक सुना है, इसलिए उनके लिए सुनवाई पूरी करना और आदेश पारित करना उचित होगा। गो फर्स्ट और लीज कंपनियों की ओर से पेश वकील भी उनसे सहमत थे।

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एनसीएलटी में बेंच आमतौर पर दो कॉम्बिनेशन के साथ बैठती हैं। हालांकि, NCLT के चेयरपर्सन के पास समय-समय पर इस कॉम्बिनेशन को बदलने की शक्ति है। मामलों को राष्ट्रपति की ओर से सुनवाई के लिए बेंचों को आवंटित किया जाता है। अगर किसी मामले को किसी दूसरी बेंच के पास भेजा जाता है, तो उन्हें बेंच को मामले से पूरे तथ्यों और घटनाक्रम की जानकारी देने के लिए नए सिरे से बहस शुरू करनी पड़ सकती है। इसके चलते मामले में अंतिम आदेश में जरूरत से अधिक समय लगता है।

गो फर्स्ट को किराए पर इंजन और विमान देने वाली लीज कंपनियों ने NCLT में आवेदन दाखिल इस आधार पर रोक से छूट की मांग की है कि उन्होंने एयरलाइन को दिवालिया घोषित होने से पहले लीज से जुड़े कॉन्ट्रैक्ट समाप्त कर दिए थे।

लीज कंपनियों की मांग है कि NLCT एक अंतरिम आदेश जारी कर गो फर्स्ट को किराए पर लिए हुए विमानों का इस्तेमाल करने से रोके। हालांकि 26 जुलाई को NCLT ने इस मामले में सात लीज कंपनियों की याचिका को रद्द कर दिया था।

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