नेशनल कंपनी लॉ अपीलेट ट्रिब्यूनल (NCLAT) ने आज घरेलू विमान कंपनी जेट एयरवेज (Jet Airways) के मामले में सुनवाई 1 नवंबर तक टाल दी है। ट्रिब्यूनल ने वकीलों को तब तक दलीलें पूरी करने का निर्देश दिया है। यह मामला हवाई सेवा बंद कर चुकी जेट एयरवेज के रिजॉल्यूशन प्लान से जुड़ी है। जेट एयरवेज के लेंडर्स ने ट्रिब्यूनल को बताया कि जालान कालरॉक कंसोर्टियम (JKC) ने 200 करोड़ रुपये जमा कराने के लिए जो रास्ता अपनाया, वह रिजॉल्यूशन प्लान के मुताबिक नहीं है। जेट एयरवेज को बढ़ते घाटे और करीब 8,000 करोड़ रुपये के कर्ज के कारण अप्रैल 2019 में बंद कर दिया गया था। अक्टूबर 2020 में विमान कंपनी की कमेटी ऑफ क्रेडिटर्स (CoC) ने जालान-कलरॉक कंसोर्टियम के रिवाइवल प्लान को मंजूरी दे दी।
1 नवंबर तक टली Jet Airways-JKC मामले की सुनवाई, NCLAT में लेंडर्स ने जताई है यह आपत्ति
लेंडर्स ने क्या आपत्ति जताई है?
जेट एयरवेज के लेंडर्स के मुताबिक जालान कालरॉक कंसोर्टिमय को पूरा पैसा कंसोर्टियम के जरिेए जमा करना था। हालांकि उन्होंने बाकी स्रोत के जरिए भी पैसा जमा किया। लेंडर्स की तरफ से ट्रिब्यूनल में पेश हुए एडीशनल सॉलिसिटर जनर वेंकटरमन ने कहा कि ये पैसे कहां से जुटाए गए, इसे लेकर उनके मन में कई आशंकाएं हैं। जेट एयरवेज ने जो प्रेस रिलीज जारी किया है, उसके मुताबिक कोर्ट से जो रिजॉल्यूशन प्लान मंजूर हुआ था, उसके तहक जालान कालरॉक कंसोर्टियम ने 350 करोड़ रुपये की इक्विटी हिस्सेदारी के लिए वित्तीय प्रतिबद्धता पूरी कर दी है और अब इसने जेट एयरवेज का कंट्रोल लेने के लिए सभी प्रतिबद्धता पूरी कर दी है।
क्या है पूरा मामला
13 जनवरी को नेशनल कंपनी लॉ ट्रिब्यूनल (NCLT) ने लंदन के कालरॉक कैपिटल और यूएई के आंत्रप्रेन्योर मुरारी लाल जालान के कंसोर्टियम को जेट एयरवेज देने की मंजूरी दी थी। हालांकि इसके खिलाफ लेंडर्स ने नेशनल कंपनी लॉ अपीलेट ट्रिब्यूनल (NCLAT) में अपील कर दी क्योंकि लेंडर्स का कहना था कि कंसोर्टियम ने इसकी देनदारियों को पूरा नहीं किया। हालांकि NCLAT ने 3 मार्च 2023 को कंसोर्टियम के हक में फैसला सुनाया। मई 2023 में NCLAT ने कंसोर्टियम को SBI का कर्ज चुकाने के लिए अधिक समय दे दिया। कंसोर्टियम को पेमेंट से जुड़ी डेडलाइन के लिए 6 नवंबर, 2022-मार्च 3, 2023 की अवधि को बाहर करने का हक दे दिया गया क्योंकि इस समय स्वामित्व से जुड़े मामले में सुनवाई हो रही थी।
28 अगस्त को ट्रिब्यूनल ने कंसोर्टियम को 30 सितंबर तक 200 करोड़ रुपये जुटाने की मंजूरी दी थी और मौजूदा बैंक गारंटी को 150 करोड़ रुपये में समायोजित करने की अनुमति भी दी। इससे पहले अगस्त में लेंडर्स ने एनसीएलएटी से कहा था कि अगर जालान कलरॉक कंसोर्टियम शर्तों को पूरा करने के लिए 350 करोड़ रुपये चुका देती है तो कंसोर्टियम को जेट एयरवेज का कंट्रोल देने के खिलाफ अपनी अपील को आगे नहीं बढ़ाने का विकल्प चुन सकती है।