दक्षिण कोरिया में चुनावों से पहले शॉर्ट-सेलिंग पर रोक, क्या इंडिया में ऐसा हो सकता है?

इस हफ्ते की शुरुआत में दक्षिण कोरिया ने शॉर्ट-सेलिंग (Short Selling) पर रोक लगा दी। संस्थागत निवेशकों के शेयरों को उधार लेकर बेचने और बाद में मार्केट गिरने पर उन्हें खरीदकर लौटाने के चलन पर रोक लगाने के लिए सरकार ने ऐसा किया। इससे सोशल मीडिया पर नई बहस शुरू हो गई है। X पर यूजर्स ने इस बारे में अलग-अलग प्रतक्रिया जताई है। कुछ यूजर्स का कहना है कि इंडिया में अगले साल लोकसभा चुनावों को देखते हुए SEBI भी ऐसा कदम उठा सकता है। मनीकंट्रोल ने यहां आपको यह बताने की कोशिश की है कि इसके क्या असर होंगे। हमने यह भी जानने की कोशिश की है कि शॉर्ट सेलिंग का इंडियन मार्केट के लिए कितना महत्व है।

क्या है शॉर्ट सेलिंग?

यह स्टॉक मार्केट में एक तरह की ट्रेडिंग स्ट्रेटेजी है। इसमें कोई ट्रेडर या फंड मैनेजर किसी स्टॉक की कीमतें गिरने की संभावना को देखते हुए उसे उधार लेकर बेच देता है। फिर जब उसकी कीमतें बाजार में गिर जाती हैं तो उसे खरीदकर उसे वापस कर देता है। इसे शॉर्ट सेलिंग इसलिए कहा जाता है क्योंकि बेचने वाले ट्रेडर या इनवेस्टर के पास यह स्टॉक नहीं होता है।

शॉर्ट सेलिंग कैसे की जाती है?

इसके दो तरीके हैं। पहला है naked Short-Sale, जिसमें सेलर के पास कोई स्टॉक नहीं होता है। लेकिन, वह इस उम्मीद में इसे उम्मीद में बेचता है कि ट्रेड को सेटल करने से पहले वह अपने पॉजिशन को रिवर्स (Square off) कर लेगा। दूसरे तरीके में ट्रेडर स्टॉक्स दूसरे किसी व्यक्ति से उधार लेता है और उसे मार्केट में बेच देता है। फिर कीमत गिरने पर उसे खरीदकर उस व्यक्ति को वापस कर देता है, जिससे उसने उधार लिया था।

दक्षिण कोरिया में स्टॉक मार्केट रेगुलेटर ने क्या फैसला लिया है?

Financial Supervisory Service (FSS) ने कोस्पी 200 इंडेक्स और कोस्डेक 150 इंडेक्स के शेयरों में नई शॉर्ट-सेलिंग पॉजिशन लेने पर रोक लगा दी है। यह रोक जून 2024 तक जारी रहेगी। उसने कहा है कि ऐसा रिटेल इनवेस्टर्स के हित में किया गया है, क्योंकि कई संस्थागत निवेशक naked Short-Selling कर रहे थे। कोरिया में यह अवैध है।

कोरिया में मार्केट एक्सपर्ट्स का क्या कहना है?

एक्सपर्ट्स ने FSS के इस फैसले की आलोचना की है। उनका कहना है कि रेगुलेटर के इस फैसले का कोई मतलब नहीं है। आम तौर पर यह माना जा रहा है कि रेगुलेटर का यह फैसला राजनीति से प्रभावित है। इसकी वजह यह है कि कोरियाई बाजार में रिटेल इनवेस्टर्स काफी ताकतवर हैं। अगले साल कोरिया में चुनाव होने वाले हैं। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, रिटेल इनवेस्टर्स शॉर्ट-सेल पर रोक लगाने की मांग कर रहे थे।

क्या इंडिया में सेबी इस तरह का फैसला ले सकता है?

अब तक के ट्रेंड को देखने से इसकी कम उम्मीद लगती है। SEBI ने शॉर्ट-सेल पर तब भी रोक नहीं लगाई थी जब मार्च 2020 में कोविड के चलते मार्केट क्रैश हुआ था। हालांकि, बीच-बीच में थोड़े समय के लिए सेबी ने इस पर रोक लगाई है। इससे अस्थायी सपोर्ट मिला है। शॉर्ट सेलिंग पर बैन का विरोध करने वाला लोगों का कहना है कि इससे नेचुरल प्राइस डिस्कवरी में दिक्कत आती है और लिक्विडिटी घट जाती है।

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