पिछले 25 साल में इंडियन मार्केट का प्रदर्शन शानदार रहा है। Morgan Stanley के मैनेजिंग डायरेक्टर रिद्धम देसाई ने यह बात कही है। उन्होंने कहा कि 25 साल में MSCI India Index ने डॉलर में 10 फीसदी कंपाउंडेड रिटर्न दिया है। इसके मुकाबले अमेरिकी स्टॉक मार्केट का रिटर्न इस दौरान 6.2 फीसदी रहा है। इससे पता चलता है कि इंडियन मार्केट्स का प्रदर्शन कितना अच्छा रहा है। उन्होंने इंडियन मार्केट्स के फ्यूचर रिटर्न के बारे में कई बातें बताई। मनीकंट्रोल से बातचीत में उन्होंने स्टॉक मार्केट्स और इनवेस्टमेंट के बार में खुलकर चर्च की। उन्होंने कहा कि इंडियन मार्केट्स का शानदार प्रदर्शन आगे भी शानदार रहेगा। हालांकि, अगले 15-20 साल की बात की जाए तो मार्केट में उतार-चढ़ाव देखने को मिलेगा। अगले 12 महीनों में भी उतार-चढ़ाव रहने की संभावना है। आगे कई बड़े इवेंट्स हैं, जिनका बाजार पर असर पड़ेगा।
इंडियन मार्केट्स का रिटर्न अमेरिकी मार्केट से ज्यादा, 40 साल तक जारी रह सकती है ग्रोथ स्टोरी : रिद्धम देसाई
ग्लोबल इकोनॉमी की ग्रोथ सुस्त रहेगी
देसाई ने कहा कि बाजार के उतार-चढ़ाव से परेशान होने की जरूरत नहीं है। आपको अपना पोर्टफोलियो ऐसा बनाना चाहिए जिससे गिरावट की स्थिति में रिस्क का कम से कम असर पड़े। मार्केट में रिस्क है। यह रिस्क ग्लोबल है। इसकी वजह यह है कि दुनिया उतनी अच्छी नहीं है जितना यह पहले थी। कर्ज का बोझ बहुत ज्यादा है। ग्लोबल इकोनॉमी में सुस्ती है। इसकी उम्र में भी बढ़ रही है। ऐसे में अब 5 फीसदी ग्लोबल ग्रोथ की उम्मीद नहीं की जा सकती। यह 3 फीसदी रह सकती है। हमें बाजार हिस्सेदारी बढ़ाने पर ध्यान देना होगा। मेरा मानना है कि हम मार्केट शेयर बढ़ा सकते हैं। अगले कुछ साल में हमारा मार्केट शेयर दोगुना हो सकता है।
फॉर्म सेक्टर में रिफॉर्म्स जरूरी
उन्होंने पॉलिटिकल साइकिल को दूसरा बड़ा मसला बताया। उन्होंने कहा कि पॉलिटिकल साइकिल चलती रहती है। सरकार में बदलाव होने पर अनिश्चिततता पैदा होती है। इससे उतार-चढ़ाव बढ़ता है। इसका असर इनवेस्टमेंट पर भी पड़ता है। इसलिए हमें अपनी आंखें खुली रखने की जरूरत है। जियोपॉलिटिकल इवेंट्स का असर भी मार्केट पर पड़ता रहता है। इससे कभी मार्केट चढ़ता है तो कभी गिरता है। उन्होंने कहा, “मेरा मानना है कि फार्म सेक्टर में रिफॉर्म्स की जरूरत है। हमारी इकोनॉमिक साइकिल ठीक है। हमारी अर्निंग साइकिल बेहतर है।”
लॉन्ग टर्म में करेक्शन का असर नहीं
देसाई ने कहा कि अर्निंग के मामले में 2010 में हम 7 फीसदी पर पहुंच गए थे। कोविड के बाद यह गिरकर 2 फीसदी पर आ गया था। अब हम फिर से 5 फीसदी पर आ गए हैं। हमें लगता है कि आगे हम अपने पिछले पीक को पार कर लेंगे। मार्केट में करेक्शन के बारे में उन्होंने कहा कि 10 फीसदी का करेक्शन आता रहता है। हर व्यक्ति इसका फायदा उठाना चाहता है। आपको बड़ा करेक्शन भी देखने को मिल सकता है। कई बार ये चीजें हमारे लिए नुकसानदेह होती हैं। 2024 में बड़ा करेक्शन दिख सकता है। लेकिन, मुझे नहीं लगता कि लॉन्ग टर्म में मार्केट के डायनेमिक्स पर इसका ज्यादा असर पड़ेगा। इंडिया में आबादी में युवाओं की हिस्सेदारी ज्यादा है। युवाओं की चाहत बड़ी है। वे जीतना जानते हैं। यह ऐसी ताकत है, जिसे दबाना बहुत मुश्किल है।