IPO के लिए चाहिए अप्रूवल तो 1 साल तक गड़बड़ी से रहना होगा दूर, NSE के सामने SEBI ने रखी शर्तें

नेशनल स्टॉक एक्सचेंज (National Stock Exchange NSE) अपना IPO लाना चाहता है। लेकिन इसकी राह आसान नहीं लग रही है। वजह है सिक्योरिटीज एंड एक्सचेंज बोर्ड ऑफ इंडिया (SEBI) ने IPO के लिए NSE के सामने कई शर्तें रख दी हैं। CNBC-TV18 की एक रिपोर्ट के मुताबिक, इनमें से एक शर्त है कम से कम एक वर्ष के लिए गड़बड़ी मुक्त संचालन सुनिश्चित करना। सेबी चाहता है कि एनएसई अपने तकनीकी टेक्नोलॉजिकल इंफ्रास्ट्रक्चर को बेहतर बनाए, कॉरपोरेट गवर्नेंस में सुधार करे और पेंडिंग कानूनी मामलों का समाधान करे।

2015 को-लोकेशन स्कैम में पूर्व सीईओ के शामिल होने से लेकर कई टेक्नोलॉजिकल गड़बड़ियों तक, कॉरपोरेट गवर्नेंस के विभिन्न मुद्दों में उलझने के बाद एनएसई की लिस्टिंग में कई वर्षों की देरी हुई है। साल 2021 में एनएसई को अपनी मेनफ्रेम और डिजास्टर रिकवरी साइट्स में खराबी के बाद कई घंटों के लिए कारोबार रोकना पड़ा था, जिसके कारण सेबी की ओर से गहन जांच की गई।

इस साल की शुरुआत में एक ईवेंट में, एनएसई के मैनेजिंग डायरेक्टर और सीईओ आशीष कुमार चौहान ने कहा था, “आगे चलकर, जैसे-जैसे भारत में निवेशकों की संख्या वर्तमान के 7.5 करोड़ से दोगुनी या तिगुनी हो जाएगी, सेबी को हमारी प्रक्रियाओं, टेक्नोलॉजी और इरादों पर भरोसा रखने की जरूरत होगी। जब भी सेबी को उचित लगेगा, हमें IPO के लिए आवेदन करने के लिए कहा जाएगा और हम आगे बढ़ेंगे।”

30 सितंबर के शेयरहोल्डिंग पैटर्न के अनुसार, एनएसई की नॉन-पब्लिक शेयरहोल्डिंग 49 प्रतिशत की निर्धारित सीमा के मुकाबले 44.03 प्रतिशत थी। पब्लिक शेयरहोल्डिंग  51 प्रतिशत की मिनिमम निर्धारित सीमा के मुकाबले 55.97 प्रतिशत थी। एनएसई के शेयरों की आखिरी प्रस्तावित नीलामी 3,150 रुपये पर थी।

सितंबर 2023 तिमाही में एनएसई का कंसोलिडेटेड शुद्ध मुनाफा सालाना आधार पर 13 प्रतिशत की वृद्धि के साथ 1,999 करोड़ रुपये रहा। इस दौरान ऑपरेशंस से कंसोलिडेटेड रेवेन्यू 3,652 करोड़ रुपये रहा, जो कि एक साल पहले की अवधि से 24 प्रतिशत अधिक है।

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