वेसल ट्रैकिंग डेटा के मुताबिक शुक्रवार को अमेरिकी गल्फ कोस्ट और भारत के बीच तेल या तेल प्रोडक्ट का परिवहन करने वाले कम से कम दो जहाज लाल सागर से बचते हुए दूसरा रास्ता पकड़ रहे हैं। इस बीच अमेरिका के नेतृत्व वाला गठबंधन यमन के हूती आतंकवादियों के हमलों से जहाजों की रक्षा में मदद करने के लिए तैयार हैं।
लाल सागर रूट पकड़ने से बच रहे कच्चा तेल ले जाने वाले जहाज, हूती आतंकवादियों से निपटने के लिए अमेरिकी नेतृत्व वाला गठबंधन तैयार
ईरान समर्थित हूती आतंकवादी कहते हैं कि वे गाजा पट्टी में इज़राइल की घेराबंदी से जूझ रहे फिलिस्तीनियों का समर्थन कर रहे हैं। गाजा पर इजराइली हमले के विरोध में हूती आतंकवादियों ने ड्रोन और मिसाइलों के साथ वाणिज्यिक शिपिंग पर हमला किया है, जिससे जहाजों को मार्ग बदलने और अफ्रीका के दक्षिणी सिरे के आसपास से गुजरने वाले लंबे मार्ग पकड़ने के लिए मजबूर होना पड़ा है।
फाइनेंशियल फर्म एलएसईजी के वेसल ट्रैकिंग डेटा के मुताबिक भारत के जामनगर से टेक्सास तक वैक्यूम गैसोइल (वीजीओ) ले जाने के लिए बीपी (बीपी.एल) द्वारा किराए पर लिया गया पोत ऐजॉर्गिस (Aigeorgis) शुक्रवार को लाल सागर से बचते हुए अफ्रीका के पूर्वी तट के साथ केप ऑफ गुड होप की ओर जा रहा था।
जामनगर से बीपी का वीजीओ (VGO) शिपमेंट लाल सागर से न जाकर नए रूट से जा रहा है। नया रूट भारत और अमेरिकी गल्फ कोस्ट के बीच यात्रा की अवधि को नौ दिन बढ़ा देता है। बता दें कि VGO एक रिफाइनिंग फीडस्टॉक है जिसका इस्तेमाल गैसोलीन और डीजल का उत्पादन करने के लिए किया जाता है।
बीपी के प्रवक्ता ने एजोर्गिस के रूट बदलने की खबर पर टिप्पणी करने से इनकार कर दिया। लेकिन इसने जहाजों का मार्ग बदलने के अपने फैसले पर पहले के एक बयान का हवाला दिया। कंपनी ने मंगलवार को कहा था कि वह लाल सागर से परहेज करेगी और केप ऑफ गुड होप के आसपास से जाने वाले जल मार्ग का इस्तेमाल करेगी।
एलएसईजी ट्रैकिंग डेटा से पता चलता है कि टेक्सास से भारत तक कच्चा तेल ले जाने के लिए इक्विनोर (EQNR.OL) द्वारा भाड़े पर लिए गए सोनांगोल कैबिंडा जलपोत ने गुरुवार को लाल सागर के बीच में 180 डिग्री का मोड़ लिया और स्वेज नहर होते हुए भूमध्य सागर की ओर बढ़ता दिखा।
इस बीच अमेरिका ने कहा है कि पिछले हफ्ते घोषित नौसैनिक गठबंधन में 20 देश शामिल थे। हालांकि, कुछ ने अभी अपनी भागीदारी की पुष्टि नहीं की है। जबकि कुछ देशों ने कहा है कि लाल सागर के वाणिज्यिक यातायात की सुरक्षा के लिए होने वाले ऑपरेशन मौजूदा नौसैनिक समझौतों के हिस्से के रूप में ही होंगे। शिपर्स के लिए सही जानकारी की कमी ने उन लोगों में भ्रम पैदा कर दिया है जो अभी भी इस क्षेत्र से बच रहे हैं।