Maxposure IPO : पहले दिन ही निवेशकों ने जमकर लगाया दांव, 72.58 गुना सब्सक्राइब हुआ इश्यू

Maxposure IPO : दिल्ली बेस्ड कंपनी Maxposure के आईपीओ को निवेशकों का जबरदस्त रिस्पॉन्स मिल रहा है। सब्सक्रिप्शन के पहले दिन यह इश्यू अब तक 72.58 गुना सब्सक्राइब हो गया है। इसे कुल 29.52 करोड़ शेयरों के लिए बोलियां मिल गई है जबकि ऑफर पर 40.68 लाख शेयर हैं। इसमें सबसे ज्यादा दांव रिटेल निवेशकों ने लगाया है। इसमें पैसा लगाने के लिए 17 जनवरी तक मौका रहेगा। 20.26 करोड़ रुपये के इस आईपीओ के लिए प्राइस बैंड 31-33 रुपये प्रति शेयर है।

अलग-अलग कैटेगरी का हाल

Maxposure के आईपीओ में सबसे ज्यादा रिटेल निवेशकों ने दांव लगाया है। इनके लिए रिजर्व हिस्से को 112.78 गुना सब्सक्रिप्शन मिला है। वहीं, नॉन इंस्टीट्यूशनल बायर्स का हिस्सा 68.45 गुना और क्वालिफाइड इंस्टीट्यूशनल इनवेस्टर्स का हिस्सा 3.54 गुना भर गया है। इश्यू में 61.4 लाख नए शेयरों को बिक्री के लिए रखा गया है। इस SME IPO में ऑफर फॉर सेल नहीं है।

आईपीओ से जुड़ी डिटेल

निवेशक 4000 शेयरों के लॉट में बोली लगा सकेंगे। Maxposure IPO के लिए बुक रनिंग लीड मैनेजर GYR Capital Advisors Private Limited और रजिस्ट्रार Bigshare Services Pvt Ltd है। इश्यू के लिए मार्केट मेकर Giriraj Stock Broking है। IPO क्लोज होने के बाद शेयरों की लिस्टिंग NSE SME पर 22 जनवरी को होगी।

कितना हिस्सा रिजर्व

Maxposure IPO के तहत 50 प्रतिशत हिस्सा क्वालिफाइड इंस्टीट्यूशनल बायर्स के​ लिए, 35 प्रतिशत हिस्सा रिटेल इनवेस्टर्स के लिए और 15 प्रतिशत हिस्सा नॉन इंस्टीट्यूशनल इनवेस्टर्स के लिए रिजर्व है। IPO से मिले पैसों का इस्तेमाल कंपनी, फेडरल एविएशन एडमिनिस्ट्रेशन और यूरोपियन यूनियन एविएशन ​सेफ्टी एजेंसी से कई ​तरह के सर्टिफिकेशंस पाने में होने वाले खर्चों को फंड करने के लिए करेगी। इसके अलावा कुछ उधारी को पूरा या आंशिक तौर पर चुकाने और सामान्य कॉरपोरेट उद्देश्यों के लिए भी IPO के पैसों का इस्तेमाल किया जाएगा।

रिस्क फैक्टर्स

कंपनी अपने रेवेन्यू के एक महत्वपूर्ण हिस्से के लिए कुछ बिजनेस लाइन्स में कुछ ग्राहकों पर निर्भर है। इसके प्रमुख ग्राहकों में से किसी एक से भी रेवेन्यू या बिक्री में कमी, बिजनेस और ऑपरेशंस के परिणामों पर प्रतिकूल प्रभाव डाल सकती है। इसकी सर्विसेज की कमर्शियल सक्सेस काफी हद तक इसके एंड-यूज कस्टमर्स की सफलता पर निर्भर करती है। यदि उद्योगों में कोई मंदी आती है, तो इसका असर कंपनी के बिजनेस और वित्तीय स्थिति पर पड़ सकता है।

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