जी और सोनी के बीच विलय यानी Zee-Sony Merger से जुड़ा सौदा रद्द हो गया है और सोनी ने आधिकारिक तौर पर इसका ऐलान कर दिया है। इस ऐलान से पहले जी एंटरटेनमेंट (Zee Entertainment) के प्रमोटर सुभाष चंद्रा ने वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण से इस डील को लेकर गुहार लगाई थी। सीएनबीसी-टीवी18 की रिपोर्ट के मुताबिक सुभाष चंद्रा ने वित्त मंत्री से इस मामले में हस्तक्षेप करने का अनुरोध किया था ताकि जी एंटरटेनमेंट के माइनॉरिटी शेयरहोल्डर्स के हितों की रक्षा की जा सके। जी और सोनी के बीच विलय की बातचीत दो साल से अधिक समय से चल रही है और अब यह सौदा सोमवार को रद्द हो गया।
सुभाष चंद्रा ने वित्त मंत्री से लगाई थी यह गुहार, Zee-Sony Merger रद्द होने से पहले ही कर दी थी शिकायत
सोनी ने जी से टर्मिनेशन फीस के रूप में 9 करोड़ डॉलर भी मांगे हैं। सौदे के रद्द होने पर एनालिस्ट्स ने जी एंटरटेनमेंट के शेयरों की तगड़ी डाउनग्रेडिंग कर दी और टारगेट प्राइस भी 50 फीसदी तक घटा दिया।
SEBI को लेकर किया यह अनुरोध
सुभाष चंद्रा ने वित्त मंत्री को जो पत्र लिखा है, उसमें आरोप लगाया गया है कि सोनी के साथ विलय के सौदे को रोकने की लगातार कोशिशें हो रही हैं। उन्होंने अपने पत्र में लिखा कि बाजार नियामक सेबी के जांच की कोई चिंता नहीं है लेकिन नए नोटिस की टाइमिंग को लेकर जरूर है। उनका कहना है कि वे किसी भी संदेह को लेकर सेबी को जांच रोकने को नहीं कर रहे हैं लेकिन नए नोटिस में ऐसा कोई पॉइंट हीं नहीं है जो पहले से ही कंपनी के रिकॉर्ड का हिस्सा नहीं है। उन्होंने कहा कि जो भी पॉइंट हैं, वह सारी डिटेल्स पहले ही सेबी को दी जा चुकी है। इसके आगे उन्होंने कहा कि सेबी और या कोई भी और अगर जांच को प्रभावित करते हैं तो इससे जी के शेयरहोल्डर्स को तगड़ा वित्तीय झटका लगेगा।
इस पत्र में सुभाष चंद्रा ने आरोप लगाया है कि इस स्तर पर नोटिस जारी करना मीडिया प्लेटफार्मों के जरिए पूरे मामले को सनसनीखेज बनाने की कवायद लग रही है। उन्होंने आगे कहा कि उन्होंने नवंबर 2018 में सेबी को एक पत्र लिखा गया था जिसमें जी के वैल्यूएशन को प्रभावित करने वाली नकारात्मक ताकतों पर इसी तरह की चिंता व्यक्त की गई थी। उन्होंने कहा कि सभी लेंडर्स के साथ बातचीत चल रही है और 40 हजार करोड़ रुपये के कर्ज का करीब 92 फीसदी हिस्सा चुकाया जा चुका है। बता दें कि कंपनी में उन्होंने अपनी हिस्सेदारी कई बार घटाई है और अब यह 40 फीसदी से गिरकर 4 फीसदी पर आ गई है।
उनका आरोप है कि सेबी पहले से तय मूड के हिसाब से काम कर रही है और यह 30 अक्टूबर 2023 को अपीलेट कोर्ट के आदेश से भी दिखता है। सिक्योरिटीज अपीलेट ट्रिब्यूनल (SAT) ने सेबी के आदेश को पलट दिया था जिसमें सुभाष चंद्रा और पुनीत गोएनका को जांच पूरा होने तक किसी भी लिस्टेड कंपनी में मैनेजेरियल पोस्ट संभालने से रोक दिया गया था। आदेश पलटने के बाद, पुनीत गोयनका को जी के एमडी और सीईओ के रूप में बहाल किया गया।
कितना बड़ा है हेराफेरी का आंकड़ा और कहां तक पहुंची जांच
मंगलवार को सूत्रों ने CNBC-TV18 को बताया कि सेबी पुनीत गोयनका और सुभाष चंद्रा और जी में उनकी भूमिका के खिलाफ अपनी जांच के अंतिम चरण में है। सेबी फंड की हेराफेरी और खातों की विंडो ड्रेसिंग के आरोपों की जांच कर रहा है, जिसमें कथित तौर पर जी एंटरटेनमेंट के प्रमोटर्स फैमिली को फायदा हुआ है। सूत्रों के मुताबिक जांच के पहले चरण में सेबी ने पाया कि इस मामले में 200 करोड़ रुपये के फंड की हेराफेरी हुई है लेकिन अब सूत्रों के अनुसार यह आंकड़ा ₹800-₹1,000 करोड़ तक बढ़ गया है।