Paytm Crisis: इनर्टनल रिस्क मैनेजमेंट में गैप पर RBI की चेताविनयों को पूरा करने में बार-बार फेल होने के चलते पेटीएम पेमेंट्स बैंक (Paytm Payments Bank) पर कड़ा प्रतिबंध लगा है। इसकी दिक्कतें खासतौर से उन ट्रांजैक्शंस से बढ़ी जिनका राजनीतिक कनेक्शन था। यह जानकारी सूत्रों के हवाले से मनीकंट्रोल को मिली है। बैंकिंग नियामक आरबीआई ने पेटीएम पेमेंट्स के रिस्क मैनेजमेंट सिस्टम का जब ऑडिट किया तो इसमें कुछ गड़बड़ियों का खुलासा हुआ, खासतौर से पॉलिटिकली एक्सपोज्ड पीपल्स (PEPs) यानी राजनीतिक कनेक्शन वाले लोगों के ड्यू डिलीजेंस प्रोसेस में काफी खामियां मिलीं। यह इन पर निगरानी रखने में भी फेल तो रही ही, संदेहास्पद लेन-देन से जुड़ी रिपोर्ट्स (STRs- सस्पियिस ट्रांजैक्शन रिपोर्ट्स) भी सरकार की फाइनेंशियल इंटेलिजेंस यूनिट के पास नहीं दे पाई।
Paytm Crisis: ‘राजनीतिक कनेक्शन’ में फंसी पेटीएम पेमेंट्स बैंक? ये है पूरा मामला
Paytm Crisis: राजनीतिक कनेक्शन मामले में क्या हुई गलती
सूत्र के मुताबिक RBI ने किसी राजनीतिक कनेक्शन वाले शख्स पर निशाना नहीं बनाया है बल्कि इसने पूरे रिस्क मैनेजमेंट सिस्टम पर काम किया है। इसे लेकर जब पेटीएम से बात किया गया तो कंपनी ने कहा कि PEP से जुड़े नियमों के पालन के लिए इसके पास मजबूत सिस्टम है। पेटीएम के प्रवक्ता ने कहा कि उनकी टीम यह सुनिश्चित करती है कि लेन-देन की रिपोर्टिंग और खातों की निगरानी का हर पहलू अनुपालन के सख्त मानकों का पालन करता है। वहीं इस मामले में RBI के प्रवक्ता ने कोई जवाब नहीं दिया है।
PEPs ऐसे लोग होते हैं जो नेताओं से जुड़े हों या सीनियर ब्यूरोक्रैट्स से। बैंकिंग से जुड़े नियमों के मुताबिक ये हाई रिस्क वाले क्लाइंट्स होते हैं क्योंकि इनके मनी लॉन्ड्रिंग से जुड़ी गतिविधियों में शामिल होने का रिस्क अधिक रहता है। ऐसे में नियमों के मुताबिक वित्तीय संस्थानों को प्रिवेशन ऑफ मनी लॉन्ड्रिंग रूल्स (PMLA) रूल्स के तहत अतिरिक्त केवाईसी करनी होती है और एक्स्ट्रा ड्यू डिलीजेंस करना होता है।
बैंक ऐसे व्यक्तियों और संस्थाओं के पिछले रिकॉर्ड्स का एक साझा डेटाबेस बनाए रखते हैं। हालांकि लेंडर्स को यह सुनिश्चित करने के लिए एक्स्ट्रा मेहनत करनी होती है कि किस मामलों में कोई व्यक्ति पीईपी है। वित्तीय संस्थान आम तौर पर किसी व्यक्ति की पीईपी स्थिति को ट्रैक करने के लिए आईटी सिस्टम का उपयोग करते हैं, इससे अगर कोई स्वैच्छिक खुलासा नहीं हुआ है तो वह भी लेंडर्स को पता चल जाता है।
Paytm Crisis: STRs को लेकर क्या हुई गड़बड़ी
केंद्रीय बैंक RBI की ऑडिटिंग में यह भी पता चला कि पेमेंट्स बैंक ने कुछ संदेहास्पद लेन-देने की जानकारी सरकार की फाइनेंशियल इंटेलिजेंस यूनिट को भी तुरंत नहीं दी। नियमों के मुताबिक बैंकों और फाइेंशियल इंस्टीट्यूशंस को किसी भी असामान्य ट्रांजैक्शन की जानकारी RBI को देनी जरूरी है। आमतौर पर ऐसे लेन-देन पर बैंकों का आईटी सिस्टम लाल झंडी दिखा देता है जिसे फिर इनटर्नल सर्विलांस और रिस्क मैनेजमेंट टीम स्क्रूटनी करती है। इसके बाद ऐसे संदेहास्पद लेन-देन की जानकारी आगे की कार्रवाई के लिए RBI को देनी होती है।