छोटे-मझोले शेयरों पर दबाव, मिड और स्मॉलकैप इंडेक्स 1% से ज्यादा टूटे, MF स्ट्रेट टेस्ट के नतीजे आने शुरू

MF stress test : छोटे और मझोले शेयरों में हाल के दिनों में गिरावट आई है, क्योंकि महंगे वैल्यूएशन को लेकर चिंताओं के कारण इन पर सेबी की निगरानी बढ़ गई है। म्यूचुअल फंडों के लिए सेबी द्वारा अनिवार्य किये गए स्ट्रेस टेस्ट ने निवेशकों के बीच घबराहट बढ़ा दी है, जिससे ब्रॉडर मार्केट में गिरावट देखने को मिल रही है। पिछले कारोबारी सत्र यानी 14 मार्च के करेक्शन के बाद 15 मार्च को भी ब्रॉडर मार्केट लाल रंग में दिख रहे हैं। म्यूचुअल फंड्स ने स्ट्रेस टेस्ट के नतीजे साझा करने शुरू कर दिये हैं। उसके बाद से छोटे-मझोले शेयरों पर दबाव बढ़ता दिख रहा है। दोपहर के आसपास, बीएसई मिडकैप इंडेक्स लगभग 2 प्रतिशत और बीएसई स्मॉलकैप 1 प्रतिशत से अधिक नीचे कारोबार कर रहा था।

म्यूचुअल फंड स्कीमों में झाग बनने को लेकर घबराहट

स्मॉलकैप सेक्टर में बढ़ती लिक्विडिटी पर बढ़ती जांच और चिंताओं ने निवेशकों को डरा दिया। जिसके चलते वे मिड और स्मॉलकैप में आंशिक मुनाफा बुक करते दिख रहे हैं। भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड (सेबी) ने एसोसिएशन ऑफ म्यूचुअल फंड्स ऑफ इंडिया (एएमएफआई) को हाल में दी गई सलाह में कहा था निवेशकों के हितों की रक्षा के लिए म्युचुअल फंड़ो के स्कीमों के बारे में अधिक खुलासा करने को कहा जाय। इसके बाद से स्मॉल और मिडकैप म्यूचुअल फंड स्कीमों में झाग बनने को लेकर घबराहट की भावना पैदा हो गई थी।

अनिवार्य स्ट्रेस टेस्ट ने घबराहट बढ़ाई

एएमएफआई और सेबी के अनिवार्य स्ट्रेस टेस्ट ने घबराहट बढ़ा दी है। एएमएफआई ने अपने सदस्यों को 15 मार्च से हर 15 दिनों में स्ट्रेस टेस्ट के नतीजों का खुलासा करना अनिवार्य कर दिया है। इस टेस्ट का लक्ष्य यह पता लगाना है कि बाजार में एकाएक आने वाली किसी बड़ी गिरावट के दौरान निवेशकों की तरफ से रिडेम्प्शन की भारी मांग की स्थिति में फंड मैनेजर कितनी जल्दी अपने पोर्टफोलियो को लिक्विडेट कर सकते हैं। भले ही इस स्ट्रेस टेस्ट का लक्ष्य केवल उन स्थितियों का विश्लेषण करना है जहां म्यूचुअल फंड्स की तरलता की जांच होगी। लेकिन इसने स्मॉलकैप सेगमेंट में महंगे मूल्यांकन को लेकर निवेशकों की चिंता बढ़ा दी। जिससे वे सावधानी बरतते हुए मिड और स्मॉल कैप शेयरों में मुनाफा बुक कर रहे हैं।

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स्मॉल और मिडकैप सेगमेंट को निकट की अवधि में राहत मिलने की उम्मीद नहीं

बाजार जानकारों को कई चिंताओं के घेरे में फंसे स्मॉल और मिडकैप सेगमेंट को निकट की अवधि में राहत मिलने की उम्मीद नहीं दिख रही है। उनका कहना है कि ब्रॉडर मार्केट का वैल्यूएशन बहुत महंगा हो चुका है।

जियोजित फाइनेंशियल सर्विसेज के वीके विजयकुमार ने कहा, “बाजार मिड और स्मॉलकैप म्यूचुअल फंड योजनाओं द्वारा किए गए तनाव परीक्षणों के परिणामों पर बारीकी से नजर बनाए हुए। तनाव का कोई भी संकेत सेबी द्वारा रेग्युलेटरी एक्शन की शुरुआत कर सकता है, जिससे पूरे बाजार का सेंटीमेंट प्रभावित होगा।”

MF स्ट्रेट टेस्ट के नतीजे आने शुरू

कई म्यूचुअल फंड पहले ही अपने स्ट्रेट टेस्ट नतीजों का खुलासा कर चुके हैं। 46,000 करोड़ रुपये के असेट के साथ सबसे बड़ी स्मॉलकैप स्कीम का प्रबंधन करने वाले निप्पॉन इंडिया स्मॉल कैप फंड ने कहा कि उसे अपने पोर्टफोलियो का आधा हिस्सा बेचने के लिए 27 दिनों की जरूरत होगी।

19,606 करोड़ रुपये के एसेट अंडर मैनेजमेंट (एयूएम) वाले एक्सिस स्मॉल कैप फंड ने कहा है कि उसे अपने पोर्टफोलियो का 50 फीसदी हिस्सा लिक्विडेट करने के लिए 28 दिनों की आवश्यकता होगी। 13,703 करोड़ रुपये के एयूएम का प्रबंधन करने वाले डीएसपी स्मॉल कैप फंड को अपनी 50 फीसदी हिस्सेदारी बेचने में 32 दिन लगेंगे।

सस्ते में मिल रहे अच्छे शेयरों पर रहे नजर

नुवामा प्रोफेशनल क्लाइंट्स ग्रुप के संदीप रैना का कहना है कि उन्हें इस बात का कोई अंदाजा नहीं है कि हालिया मंदी के बाद मिड और स्मॉलकैप निचले स्तर पर पहुंच गए हैं या नहीं। स्मॉल और मिडकैप के आसपास की अनिश्चित स्थितियों को देखते हुए, रैना निवेशकों को उन शेयरों को चुनने का सुझाव दे रहे हैं जो फंडामेंटली काफी अच्छे हैं और जिनमें करेक्शन हुए है।

क्वालिटी मिड और स्मॉल कैप में करें निवेश

उनका कहना है कि इस समय मिड और स्मॉल कैप सेगमेंट में ऐसे काफी क्वालिटी स्टॉक हैं जिनमें 20-30 फीसदी की गिरावट आई है। ऐसे स्टॉक्स की तलाश करें जिनका बिजनेस मॉडल अच्छा है क्योंकि किसी करेक्शन ऐसे शेयरों में कोई बुनियादी बदलाव नहीं होता है। अगर किसी अच्छे व्यवसाय के 20 फीसदी की दर से बढ़ने की उम्मीद है तो वह उसी दर से बढ़ेगा दर। ऐसे में अगर किसी कंपनी में कैश फ्लो, ग्रोथ और आउटलुक मजबूत हैं तो उस शेयर को चुनें।

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