इजराइल पर ईरान के हमले के बाद मध्यपूर्व में तनाव बढ़ा है। इससे आने वाले दिनों में क्रूड ऑयल की कीमतें हाई बने रहने की उम्मीद है। कुछ एनालिस्ट्स का कहना है कि मई में क्रूड ऑयल (Crude Oil) 100 डॉलर प्रति बैरल तक जा सकता है। इसका खराब असर इंडिया के करेंट अकाउंट डेफिसिट पर पड़ेगा। यह कंपनियों की अर्निंग्स के लिए भी खराब रहेगा। इनफ्लेशन की वजह से इनपुट कॉस्ट्स बढ़ जाती है जिसका असर डिमांड पर पड़ता है। इससे स्टॉक मार्केट में तेजी पर ब्रेक लग सकता है। हालांकि, ज्यादातर बुल्स का मानना है कि घरेलू संस्थागत निवेश स्ट्रॉन्ग बना हुआ है और लोकसभा चुनावों में BJP की जबर्दस्त जीत से सारी मुश्किलें खत्म हो जाएगी। हालांकि, कुछ ऐसी वजहें हैं, जो बाजार को ज्यादा बढ़ने से रोक सकती हैं।
क्रूड ऑयल चिंता की इकलौती वजह नहीं है, विदेशी निवेशकों के रुख सहित ये चीजें भी बाजार का खेल बिगाड़ सकती हैं
विदेशी निवशकों का सेलेक्टिव एप्रोच
विदेशी निवेशकों ने 2024 में अब तक शुद्ध रूप से 24,000 करोड़ रुपये का निवेश किया है। मार्केट के जानकारों का कहना है कि इसमें से ज्यादातर निवेश ब्लॉक डील्स के जरिए हुआ है। इससे यह संकेत मिलता है कि विदेशी निवेशक निवेश में सावधानी बरत रहे हैं।
रेगुलेटर्स की सख्ती
सरकार ने हाल में मॉरीशस के साथ डबल टैक्स से बचाव के समझौते की एक बड़ी कमी दूर करने के लिए नियमों में संशोधन किया है। अभी यह साफ नहीं है कि यह संशोधन 2017 से पहले हुए निवेश पर लागू होगा या नहीं। 2017 में पहली बार कैपिटल गेंस के नियमों में बदलाव हुआ था। इस संशोधन का सबसे ज्यादा असर मॉरीशस के रास्ते आने वाले प्रत्यक्ष विदेशी निवेश पर पड़ेगा। इस बात को लेकर भी चिंता है कि दूसरे टैक्स हैवेंस से होने वाले निवेश पर भी शिकंजा कसेगा।
चुनावी नतीजों पर दांव
मार्केट में ज्यादातर लोगों का मानना है कि लोकसभा चुनावों में एनडीए की भारी मतों से जीत होगी। इससे मार्केट में तेजी आएगी। इसलिए तेजी वाले शेयरों में निवेश बनाए रखने की रणनीति सही रहेगी। अभी नया निवेश किया जा सकता है और चुनाव के नतीजों के बाद उसे बेचा जा सकता है। इस रणनीति में खराबी यह है कि कई लोग इसका इस्तेमाल कर रहे हैं। अगर हर निवेशक चुनावों के बाद बेचना चाहता है तो फिर कौन खरीदेगा? इसके अलावा इस बात की पूरी तरह अनदेखी की जा रही है कि चुनावों के नतीजे अनुमान के उलट भी हो सकते हैं।
F&O के ओपन पॉजिशंस
सिंगल स्टॉक फ्यूचर्स में रिटेल इनवेस्टर्स के ओपन पॉजिशंस की वैल्यू तेजी से बढ़ी है। सभी इनवेस्टर्स कैटेगरी में ओपन पॉजिशंस की कुल वैल्यू बढ़कर 2.2 लाख करोड़ के पार निकल गई है। इसमें से 77 फीसदी लॉन्ग पॉजिशंस रिटेल इनवेस्टर्स के हैं। यह चिंता की बात है, क्योंकि बाजार में बड़ी गिरावट आने पर सबसे पहले रिटेल निवेशक फिक्रमंद हो जाते हैं। सभी शॉर्ट ट्रेड को देखने के बाद पता चलता है कि घरेलू संस्थागत निवेशकों ने सिंगल स्टॉक फ्यूचर्स में शुद्ध रूप से शॉर्ट किया है। मार्केट में गिरावट की स्थिति में इससे थोड़ी राहत मिल सकती है।
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