Fake reviews : सरकार ई-कॉमर्स कंपनियों के फेक रिव्यू पर शिकंजा कसने जा रही है। कंज्यूमर अफेयर मंत्रालय रिव्यूज पर जारी गाइडलाइंस को अनिवार्य करने की तैयारी कर रहा है। इसके लिए आज स्टेकहोल्डर के साथ बैठक भी बुलाई गई है। इस खबर पर ज्यादा जानकारी देते हुए सीएनबीसी-आवाज के असीम मनचंदा ने बताया कि अब फेक रिव्यूज पर शिकंजा कसेगा। अब ई-कॉमर्स कंपनियों पर फेक रिव्यूज नहीं चलेंगे। इसके लिए ई-कॉमर्स कंपनियों के लिए डिस्क्लेमर देने अनिवार्य होगा।
ई-कॉमर्स कंपनियों के फेक रिव्यू पर शिकंजा कसने की तैयारी, रिव्यूज पर जारी गाइडलाइंस बनाए जाएंगे अनिवार्य
अब पेड और प्रोमोशनल रिव्यूज की पूरी जानकारी देना होगा अनिवार्य
आज इस मुद्दे पर कंज्यूमर मंत्रालय ने स्टेकहोल्डरों के साथ बैठक बुलाई। इस बैठक में जोमैटो और MakeMyTrip शामिल हुए। अमेजन और जस्ट डायल भी बैठक में शामिल रहे। सरकार रिव्यूज पर जारी गाइडलाइंस को अनिवार्य करने पर विचार कर रही है। अब पेड और प्रोमोशनल रिव्यूज की पूरी जानकारी देना अनिवार्य होगा। सरकार को फेक रिव्यूज पर ढेरों शिकायतें मिली हैं। इसी के मद्देनजर ये कदम उठाया जा रहा है। बता दें कि रिव्यूज पर ब्यूरो ऑफ इंडियन स्टैंडर्ड ने 2022 में गाइडलाइंस जारी की थी।
ई-कॉमर्स कंपनियों को मिलेगा 6 महीने तक का समय
इंटरनेट पर फेक रिव्यू या इनफ्लुएंसर्स द्वारा प्रचार या फिर डार्क पैटर्न को लेकर केंद्रीय उपभोक्ता मंत्रालय लगातार कार्यवाही कर रहा है। इन ई-कॉमर्स कंपनियों को 6 महीने तक का समय दिया जाएगा ताकि वे गाइडलाइंस को अमल में ला सकें। ये गाइडलाइंस लागू होने पर कस्टमर्स को किसी भी तरह की गलत जानकारी नहीं मिलेगी ना ही वह पेड रिव्यू से प्रभावित होगा।
कंपनियां अपने प्रोडक्ट को प्रमोट करने के लिए फेक रिव्यू का करती हैं इस्तेमाल
गौरतलब है कि बहुत से लोग ई-कॉमर्स साइट से प्रोडक्ट खरीदने से पहले रेटिंग और रिव्यू चेक करते हैं। अगर रिव्यू अच्छा हुआ तब ही वे उस प्रोडक्ट को खरीदने का मन बनाते हैं। लेकिन कस्टमर्स को यह पता नहीं होता है कि उस प्रोडक्ट के बारे में लिखे गए रिव्यू असली हैं या नहीं। अक्सर ई-कॉमर्स कंपनियां अपने प्रोडक्ट को प्रमोट करने के लिए फेक रिव्यू का इस्तेमाल करती हैं। इतना ही नहीं फूड एग्रीगेटर जैसी ई-कॉमर्स कंपनियां फेक रिव्यूज के जरिए अपनी रेटिंग बढ़ाती हैं और कस्टमर को आकर्षित करती हैं।