मार्केट रेगुलेटर सेबी ने दो लोगों को फ्रंट रनिंग ट्रेड में लिप्त होने के कारण सिक्योरिटीज मार्केट से 3 साल के लिए बैन कर दिया है। इसके अलावा, उन्हें गलत तरीके से कमाए गए 1.67 करोड़ रुपये को लौटाने का निर्देश भी दिया गया है। जिन लोगों पर बैन लगाया गया है वे गौरव देधिया और काजल सावला हैं। इसके साथ ही, मार्केट रेगुलेटर ने देधिया पर 25 लाख रुपये और सावला पर 15 लाख रुपये का जुर्माना भी लगाया है। यह मामला आईडीबीआई कैपिटल एंड सिक्योरिटीज मार्केट्स लिमिटेड के पूर्व चीफ डीलर गौरव देधिया से जुड़ा हुआ है। सेबी के मुताबिक गौरव देधिया ने कथित तौर पर अपनी बहन काजल सावला के ट्रेडिंग अकाउंट का इस्तेमाल करते हुए ढाई साल की अवधि में फ्रंट रनिंग ट्रेड किया है।
Front Running case: SEBI ने दो लोगों को मार्केट से 3 साल के लिए किया बैन, लौटाने होंगे गलत तरीके से कमाए गए पैसे
फ्रंट रनिंग को शेयर बाजार में अवैध माना जाता है, जिसका मतलब है कि कोई शख्स ब्रोकर या एनालिस्ट्स से पहले से मिली अहम जानकारी के आधार पर ट्रेड करे। यह जानकारी शख्श को क्लाइंट्स को उ़पलब्ध कराए जाने से पहले ही मिल जाती है।
SEBI ने कहा- लौटाने होंगे गलत तरीके से कमाए गए पैसे
सेबी ने अपने आदेश में कहा कि देधिया और सावला को सिक्योरिटीज मार्केट को एक्सेस करने से रोक दिया गया है और उन्हें तीन साल की अवधि के लिए सिक्योरिटीज मार्केट में डायरेक्ट या इनडायरेक्ट रूप से किसी भी तरह से खरीद, बिक्री या लेनदेन करने से बैन कर दिया गया है। इसके साथ ही, उन्हें निर्देश दिया गया है कि उन्हें संयुक्त रूप से और अलग-अलग 1.67 करोड़ रुपये के गलत लाभ की राशि को 12 फीसदी प्रति वर्ष की दर से ब्याज सहित लौटाना होगा।
यह आदेश सेबी के निगरानी तंत्र द्वारा नवंबर 2020, दिसंबर 2020 और जनवरी 2021 के महीनों के दौरान सावला के खिलाफ फ्रंट रनिंग अलर्ट जारी किए जाने के बाद आया है। इसके बाद, रेगुलेटर ने PFUTP (धोखाधड़ी और अनुचित ट्रेड प्रैक्टिसेज का निषेध) नियमों के उल्लंघन का पता लगाने के लिए जनवरी 2019 से जुलाई 2022 की अवधि के लिए सावला की ट्रेडिंग एक्टिविटी की जांच की।
SEBI ने जांच में क्या पाया?
अपनी जांच में सेबी ने पाया कि सावला स्टॉक ब्रोकर सुशील फाइनेंशियल सर्विसेज और मोतीलाल ओसवाल फाइनेंशियल सर्विसेज के माध्यम से ट्रेडिंग कर रही थी। यह पाया गया कि वह एलआईसी, एलआईसी पेंशन फंड लिमिटेड, यूनिट ट्रस्ट ऑफ इंडिया म्यूचुअल फंड, आईडीबीआई ट्रस्टीशिप सर्विसेज लिमिटेड, कैटलिस्ट ट्रस्टीशिप लिमिटेड और जनरल इंश्योरेंस कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया के जरिए फ्रंट रनिंग ट्रेड कर रही थी। इस पूरे मामले में देधिया सावला की फ्रंट रनिंग एक्टिविटी के पीछे मुख्य अपराधी है। इसके अलावा, सावला ने अपने ट्रेडिंग अकाउंट को अपने भाई द्वारा धोखाधड़ी के लिए इस्तेमाल करने की अनुमति दी और वह भी इस एक्टिविटी में एक आरोपी है।