अगर आप रेल, फर्टिलाइजर्स और डिफेंस सेक्टर की सरकारी कंपनियों में निवेश करना चाहते हैं तो आपके लिए अच्छी खबर है। सरकार इन सेक्टर की कंपनियों में अपनी हिस्सेदारी घटाने पर विचार कर रही है। बजट में इसका ऐलान हो सकता है। एक सीनियर सरकारी अधिकारी ने बताया कि फाइनेंशियल ईयर 2024-25 में इन कंपनियों में सरकार कुछ हिस्सेदारी बेच सकती है। इसके लिए सरकार ऑफर फॉर सेल (ओएफएस) पेश करेगी।
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इन कंपनियों में हिस्सा बेचेगी सरकार
सरकार जिन कंपनियों में हिस्सेदारी बेचने के बारे में सोच रही है उनमें IRFC, NFL, RCF शामिल हैं। इसके अलावा Mazagon Dock (MDL) में हिस्सेदारी बेचने की भी तैयारी है। इसके लिए पिछले साल से ही डिफेंस मिनिस्ट्री के साथ बातचीत चल रही है। हालांकि, यह माना जा रहा है कि जुलाई में पेश होने वाले यूनियन बजट में सरकार डिसइनवेस्टमेंट के लिए किसी टारगेट का ऐलान नहीं करेगी। लेकिन, उम्मीद है कि सरकार को नॉन-डेट कैपिटल रिसीट के जरिए 50,000 करोड़ रुपये मिल सकते हैं। अधिकारी ने नाम जाहिर नहीं करने की शर्त पर बताया कि विनिवेश पर बजट-पूर्व चर्चा जल्द शुरू होने की उम्मीद है।
ओएफएस के रास्ते शेयर बेचने का प्लान
सिंघानियां एंड कंपनी के पार्टनर कुणाल शर्मा ने कहा कि स्ट्रेटेजिक सेल्स की सुस्त रफ्तार और जटिलताओं को देखते हुए DIPAM का जोर OFS पर है, जो एक व्यावहारिक रास्ता है। स्ट्रैटेजिक सेल्स में लंबे समय तक बातचीत होती है। इसके अलावा नियामक के स्तर भी दिक्कत आती है। दूसरी तरफ, OFS के रास्ते हिस्सेदारी बेचने में ज्यादा समय नहीं लगता है साथ ही कंपनी में सरकार की हिस्सेदारी भी बनी रहती है।
IRFC में 11.36 फीसदी हिस्सेदारी बेचने का प्लान
सरकार IRFC में 11.36 फीसदी हिस्सेदारी बेच सकती है। इससे उसे करीब 7,600 करोड़ रुपये मिलेंगे। अभी IRFC में सरकार की 86.36 फीसदी हिस्सेदारी है। यह इंडियन रेलवेज की फाइनेंसिंग इकाई है। IRFC में 11.36 फीसदी हिस्सेदारी की बिक्री SEBI की मिनिमम पब्लिक शेयरहोल्डिंग के नियमों के पालन के लिए भी जरूरी है। इस नियम के मुताबिक, लिस्टेड कंपनी में कम से कम 25 फीसदी पब्लिक शेयरहोल्डिंग जरूरी है।
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विनिवेश से फिस्कल डेफिसिट को नियंत्रण में रखने में होगी आसानी
अभी MDL में सरकार की 84.83 फीसदी हिस्सेदारी है। सरकार इस कंपनी में 10 फीसदी हिस्सेदारी बेचना चाहती है। DIPAM आरसीएफ में 10 फीसदी और NFL में 20 फीसदी हिस्सेदारी भी बेचना चाहती है। दोनों कंपनियों में हिस्सेदारी बेचने से सरकार को करीब 12,000 करोड़ रुपये मिलेंगे। सरकारी कंपनियों में हिस्सेदारी बेचने से सरकार को फिस्कल डेफिसिट को टारगेट के अंदर रखने में मदद मिलेगी।