बाजार की स्थिति मजबूत, यूटिलिटी, इंफ्रास्ट्रक्चर, मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर में तेजी संभव- MOAMC के प्रतीक ओसवाल – strong market conditions growth possible in utility infrastructure manufacturing sectors – prateek oswal of moamc

बेंचमार्क इक्विटी इंडेक्स 13 सितंबर के कारोबारी सत्र में हल्के लाल निशान में बंद हुए। सेंसेक्स 72 अंक गिरकर 82891 पर और निफ्टी 32 अंक गिरकर 25357 पर बंद हुआ। ऐसे में बाजार की आगे की चाल पर बात करते हुए मोतीलाल ओसवाल एएमसी (MOAMC) के चीफ ऑफ पैसिव फंड बिजनेस प्रतीक ओसवाल (Pratik Oswal) ने सीएनबीसी-आवाज से बातचीत में कहा कि मोमेंटम ड्राइवेन शेयरों पर हमारा फोकस है। इस बाजार में सेक्टर और कैप रोटेशन का फायदा ले रहे है। उन्होंने कहा कि यूटिलिटी, इंफ्रास्ट्रक्चर, मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर में तेजी नजर आ रही है।

एमओ निफ्टी 500 मोमेंटम 50 इंडेक्स (MO Nifty 500 Momentum 50 Index) में 4-18 सितंबर तक सब्सक्राइब कर सकते हैं। यह एक ओपेन एंडेड इक्विटी फंड है। यह फंड निफ्टी 500 मोमेंटम 50 टोटल रिटर्न इंडेक्स को ट्रैक करता है।

फंड की स्ट्रैटेजी पर बात करते हुए उन्होंने कहा कि लॉन्ग टर्म में कैपिटल ग्रोथ के लिए बेहतर ऑप्शन देगा। हम फंड के जरिए मोमेंटम-ड्राइवेन शेयरों पर फोकस करते है। निफ्टी 500 इंडेक्स के दायरे से स्टॉक का चयन होता है। मॉडरेट से हाई रिस्क वाले निवेशकों के लिए सही है। इस फंड के जरिए डाइवर्सिफाइड इक्विटी पोर्टफोलियो बनाने में मदद मिलती है। फैक्टर इंवेस्टिंग भारत में नया है। भारत में तेजी से मोमेंटम निवेश बढ़ रहा है। इस फंड में लार्ज, मिड, स्मॉल-कैप सभी 3 सेगमेंट से मोमेंटम को कैप्चर करता है।

बाजार पर राय

प्रतीक ओसवाल ने आगे कहा कि भारतीय बाजार की स्थिति काफी मजबूत है। आने वाले 2-3 साल स्थिति अच्छी रहने की उम्मीद है। उनका कहना है कि छोटी कंपनियों की ग्रोथ अच्छी हुई है। छोटी कंपनियों की ग्रोथ अगले 3-4 सालों में और बढ़ने की उम्मीद है। यूटिलिटी, इंफ्रास्ट्रक्चर, मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर में तेजी की संभावना है। इंडस्ट्रियल, कैपिटल गुड्स से सेक्टर की ग्रोथ अच्छी रही है। कई सेक्टर की बैलेंसशीट बहुत शानदार रही है। बाजार को लेकर पॉजिटिव नजरिया बना हुआ।

एक्टिव फंड पर स्ट्रैटेजी

एक्टिव फंड पर स्ट्रैटेजी पर बात करते हुए उन्होंने कहा कि फंड मैनेजर फंड को एक्टिवली मैनेज करता है। किस एसेट क्‍लास में निवेश, फंड मैनेजर का फैसला करता है। पोर्टफोलियो में खरीदने, बेचने या रीबैलेंसिंग का फैसला करता है। स्ट्रैटेजी तैयार करने के लिए स्टडी, एनालिसिस जरूरी है। मार्केट इंडेक्‍स से बेहतर रिटर्न प्राप्‍त करने की कोशिश है। स्‍टॉक खरीद-बिक्री से जुड़े फैसले जल्‍दी लिए जाते हैं। एक्टिव इन्‍वेस्टिंग में ज्‍यादा लेनदेन किया जाता है । पैसिव फंड की तुलना में एक्टिव फंड पर रिसर्च खर्च है। एक्टिव फंड पर कैपिटल गेन्‍स टैक्‍स ज्यादा लगता है।

पैसिव फंड स्ट्रैटेजी

उन्होंने कहा कि फंड मैनेजर का ज्‍यादा रोल नहीं रहता है । पैसिव फंड बाजार को ट्रैक करता है। एक्टिव फंड के मुकाबले उतार-चढ़ाव कम है। कम रिस्क लेने वाले निवेशकों के लिए सही है।पैसिव फंड के लिए ज्‍यादा रिसर्च की जरूरत नहीं है। अंडरलाइंग बेंचमार्क को ट्रैक करते हैं। एक्‍सपेंश रेश्‍यो काफी कम है। एक्टिव फंड के मुकाबले कम रिस्क और रिटर्न मिलता है। पैसिव फंड पर कम कैपिटल टैक्‍स लगता है।

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