बुल रन में कवर्ड कॉल स्ट्रेटेजी से लॉन्ग पॉजिशन लेकर कमा सकते हैं मुनाफा – bull run in market rally use covered call strategy to take long position for making profit

बुल मार्केट को प्रदर्शन के आधार पर परिभाषित करना आसान है। ऐसे इंडेक्स के बारे में आप क्या कहेंगे जो बीते 8 से ज्यादा सालों से नहीं गिरा है? इससे भी ज्यादा यह कि साल की शुरुआत में ऑल टाइम हाई बनाने के बाद इंडेक्स 16 फीसदी चढ़ चुका है। हम निफ्टी की बात कर रहे हैं। अगर निफ्टी की यह तेजी आपको चिंतित करती है तो आप अकेले नहीं हैं।

बुलिश ट्रेड का बदल दें तरीका

बड़ी तेजी के बाद भी हमारे जैसे ज्यादातर ट्रेडर्स बुलिश ट्रेड लेना चाहेंगे, लेकिन खरीदारी को लेकर आत्मविश्वास ऐसा होगा जैसे हम लोअर लेवल पर खरीदारी कर रहे हैं। तेजी जारी रहने के बहुत फायदे हैं। लेकिन, बीच-बीच में आने वाली गिरावट उतनी ही या उससे ज्यादा परेशान कर सकती है। ऐसी स्थिति का सामना करने का सबसे अच्छा तरीका यह है कि बड़ी तेजी के बाद हम बुलिश ट्रेड का अपना तरीका बदल दें।

कवर्ड कॉल स्ट्रेटेजी का मतलब

यह बदलाव है कवर्ड कॉल। कवर्ड कॉल ऐसा ट्रेड है, जिसमें हम अंडरलाइंग कैश/खासकर फ्यूचर में लॉन्ग पॉजिशन लेते हैं और साथ ही टारगेट प्राइस के नजदीक के स्ट्राइक प्राइस पर कॉल (शॉर्ट) बेचते हैं। जब कभी पहले से मूव (Move) है और हम इसके जारी रहने पर दांव लगा रहे हैं तो हमें इसे लेकर सावधानी बरतने की जरूरत है। पहला है प्राइस करेक्शन और दूसरा है टाइम करेक्शन। कवर्ड कॉल में दोनों चीजें आ जाती हैं।

यह होगी स्ट्रेटेजी

कॉल में सेल पॉजिशन होने पर अगर अंडरलाइंग नीचे जा रहा है तो कॉल प्रीमियम में गिरावट से हम अंडरलाइंग फ्यूचर में कुछ लॉस उठाते हैं। दूसरी तरफ, अगर मूव देने से पहले अंडरलाइंग कुछ दिन का समय लगा रहा है तो यह समय हमारे लिए कॉल में प्रॉफिट बनाता है। लेकिन, प्रॉफिट कॉल स्ट्राइक प्राइस और अंडरलाइंड बाय प्राइस प्लस प्रीमियम रिसीव्ड के बीच का फर्क होता है। अब एक्सपायरी के दिन ज्यादा दिक्कत नहीं आएगी क्योंकि हम टारगेट प्राइस पर स्टॉक से एग्जिट करने जा रहे हैं।

यह भी पढ़ें: Affordable Housing और इंफ्रास्ट्रक्चर पर सरकार के फोकस से इन शेयरों को लग सकते हैं पंख

एंड मोर स्ट्रेटेजी का भी कर सकते हैं इस्तेमाल

हालांकि, अगर टारगेट प्राइस एक्सपायरी से पहले आता है तो हमारा प्रॉफिट काफी कम रहेगा। अंडललाइंड में तेजी की वजह से हमें बेची गई कॉल में लॉस उठाना पड़ेगा। एक दूसरी स्ट्रेटेजी है जिसे हम एंड मोर (&More) कहते हैं। हम इसमें कॉल ऑप्शन बेचने से मिले पैसे का इस्तेमाल लोअर स्ट्राइक का ऑप्शन खरीदने के लिए करते हैं। आम तौर पर यह लास्ट ब्रेकआउट प्वाइंट होता है। अब एग्जिट स्ट्रेटेजी की बात करते हैं। इसे आप रेगुलर फ्यूचर्स ट्रेड मान सकते हैं। इसमें अच्छी तेजी के बाद प्रॉफिट कम रहेगा क्यों सेल कॉल एंड बाय पुट पॉजिशंस की वजह से थोड़ा नुकसान उठाना पड़ेगा। इस स्ट्रेटेजी को कोलर (Collar) भी कहा जाता है।

Source link

Add a Comment

Your email address will not be published. Required fields are marked *