दिग्गज निवेशक और हीलियोस कैपिटक के फाउंडर, समीर अरोड़ा (Samir Arora) ने बुधवार 13 नवंबर को ट्वीट के जरिए कोरियाई प्रमोटरों पर तंज कसा। हालांकि उन्होंने किसी कंपनी का नाम नहीं लिया, लेकिन यह माना जा रहा है कि उन्होंने हाल ही में शेयर बाजार में लिस्ट हुई हुंडई मोटर इंडिया (Hyundai Motor India) के नतीजों पर अपनी राय जाहिर की है, जो बाजार के अनुमानों से काफी कम रहे हैं। समीर अरोड़ा ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ‘एक्स’ पर लिखा, “ये कोरियाई तो भारतीय प्रमोटरों के भी बाप निकले।”
‘ये कोरियाई तो भारतीय प्रमोटरों के भी बाप निकले’, दिग्गज निवेशक समीर अरोड़ा ने क्यों हुंडई के प्रमोटरों को सुनाई खरी-खरी – veteran investor samir arora takes on hyundai motor india korean promoter without taking name
अरोड़ा का यह बयान उस गलत प्रैक्टिस की ओर भी ध्यान खींचता है, जिसमें कंपनी का मैनेजमेंट अधिक से अधिक वैल्यूएशन पाने के लिए, IPO के दौरान अपनी कंपनी की ग्रोथ संभावनाओं को काफी बढ़ा-चढ़ाकर दिखाता है। हालांकि लिस्टिंग के बाद जब ग्रोथ अनुमान के मुताबिक नहीं रहता है, तो इससे निवेशकों को निराशा होती है।
एनएसई पर सुबह 11.10 बजे के करीब, हुंडई मोटर इंडिया के शेयर करीब 4.7 फीसदी गिरकर 1,720.2 रुपये प्रति शेयर के भाव पर कारोबार कर रहे थे।
हुंडई मोटर इंडिया के IPO का भाव 27 गुना के P/E पर किया गया था, जो इसकी राइवल और देश की दूसरी सबसे बड़ी कंपनी मारुति सुजुकी के बराबर थी। एनालिस्ट्स का मानना है कि हुंडई की लॉन्ग टर्म की ग्रोथ संभावनाएं मजबूत हैं, लेकिन नियर टर्म में ग्रोथ एक चुनौती साबित हो रही है।
हुंडई के आईपीओ की कीमत 27x के पी/ई पर थी, जो कि इसकी निकटतम प्रतिद्वंद्वी और पैसेंजर कार सेगमेंट की अग्रणी कंपनी मारुति सुजुकी के बराबर थी। विश्लेषकों का मानना है कि हुंडई के लिए लंबी अवधि की संभावनाएं मजबूत हैं, लेकिन निकट अवधि में वृद्धि एक चुनौती साबित हो रही है।
हालांकि दिलचस्प बात यह थी कि हुंडई इंडिया का वैल्यूएशन उसकी कोरियाई पैरेंट कंपनी की तुलना में अधिक है। हुंडई मोटर इंडिया का P/E रेशियो 27 गुना है, जबकि इसकी पैरेंट कंपनी हुंडई मोटर का P/E रेशियो 5 गुना है।
रिटेल निवेशकों ने हुंडई मोटर इंडिया के IPO में दिलचस्पी नहीं दिखाई थी। रिटेल निवेशकों के लिए आरक्षित शेयरों का हिस्सा महज 50 फीसदी सब्सक्राइब हुआ था। इसके चलते IPO में क्वालिफाइड इंस्टीट्यूशन बायर्स (QIB) को अधिक शेयर आवंटित किए गए, जिन्होंने अपने कोटे के शेयरों को करीब 7 गुना सब्सक्राइब किया था।
IPO से रिटेल निवेशकों की दूरी के पीछे एक अहम वजह, इसका पूरी तरह से ऑफर-फॉर-सेल (OFS) होना था। इससे कोरियाई प्रमोटरों को अच्छे वैल्यूएशन पर कंपनी में अपनी हिस्सेदारी घटाने का मौका मिला। IPO से जुटाई गई सभी राशि इसकी कोरियाई पैरेंट कंपनी के पास गई। हुंडई मोटर इंडिया का आईपीओ 1,960 रुपये प्रति शेयर के भाव पर आया था और फिलहाल इसके शेयर इस स्तर से करीब 12 फीसदी नीचे कारोबार कर रहे हैं।
हुंडई मोटर इंडिया ने 12 नवंबर को अपनी सितंबर तिमाही के नतीजे जारी किए। कंपनी ने बताया कि सितंबर तिमाही में उसका शुद्ध मुनाफा पिछले साल के मुकाबले 16 फीसदी घटकर 1,375 करोड़ रुपये रहा। वहीं इसका रेवेन्यू इस दौरान 7.5 फीसदी घटकर 17,260 करोड़ रुपये पर आ गया।
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