Adani Group : अडानी की कंपनियों की वैल्यूएशन 65 अरब डॉलर हुई कम, भारी पड़ रहा Hindenburg से विवाद – Adani Group vs Hindenburg Indian group s firms lose USD 65 billion in value as short seller battle escalates

Adani Group : सोमवार को अडानी ग्रुप के ज्यादातर शेयरों में तगड़ी गिरावट देखने को मिली। दरअसल, भारतीय समूह की अमेरिकी शॉर्ट सेलर के आरोपों का खंडन निवेशकों की आशंकाओं को दूर करने में विफल रहा। इसके चलते आई गिरावट के बाद अभी तक अडानी ग्रुप के शेयरों की वैल्यूएशन लगभग 65 अरब डॉलर कम हो गई है। एशिया के सबसे अमीर शख्स गौतम अडानी (Gautam Adani) की अगुआई वाला समूह इन दिनों हिंडेनबर्ग रिसर्च के आरोपों से जूझ रही है। हालांकि ग्रुप ने रविवार को शॉर्ट सेलर की रिपोर्ट पर पलटवार किया, जिसमें उसके कर्ज के स्तरों और टैक्स हैवंस के इस्तेमाल पर चिंताएं जाहिर की गई थीं।

शेयरों में 20 फीसदी तक गिरावट

अडानी ट्रांसमिशन, अडानी टोटल गैस, अडानी ग्रीन एनर्जी, अडानी पावर और अडानी विलमर में सोमवार को 5 फीसदी से 20 फीसदी के बीच गिरावट दर्ज की गई। यह सप्ताह अडानी एंटरप्राइजेस (Adani Enterprises) के लिए खासा अहम हो सकता है। Adani Enterprises की 2.5 अरब डॉलर की शेयर सेल यानी एफपीओ के दूसरे दिन इनवेस्टर्स की तरफ से कमजोर प्रतिक्रिया मिली। शेयर भी सोमवार को एफपीओ के 3,276 रुपये प्रति शेयर के अपर बैंड की तुलना में लगभग 7 फीसदी नीचे बंद हुआ।

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एफपीओ के लिए मिलीं सिर्फ 3 फीसदी बिड

स्टॉक एक्सचेंज से मिले डेटा के मुताबिक, सोमवार को अडानी को 14 लाख शेयर यानी सिर्फ 3 फीसदी बिड मिलीं। यह ऑफर 4.55 करोड़ शेयरों का है। डील मंगलवार को बंद हो जाएगी। डेटा के मुताबिक, अभी तक विदेशी और डीआईआई (DII) के साथ म्यूचुअल फंड्स ने कोई बिड नहीं लगाई है।

रॉयटर्स की एक रिपोर्ट में मोतीलाल ओसवाल फाइनेंशियल सर्विसेज के इक्विटी स्ट्रैटजिस्ट हेमांग जानी ने कहा, “मौजूदा मार्केट प्राइस पर रिटेल भागीदारी कम रहने का अनुमान है। हिंडेनबर्ग विवाद के बाद सेंटीमेंट को झटका लगा है।” उन्होंने कहा कि आज का दिन एफपीओ के लिए खासा अहम रहेगा। देखना होगा कि इंस्टीट्यूशनल इनवेस्टर्स की भागीदारी कैसी रहती है।

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क्या एफपीओ की टाइमलाइन बढ़ाएगा अडानी ग्रुप

हालांकि, अडानी ग्रुप शनिवार को ही कह चुका है कि एफपीओ का प्रस्तावित इश्यू प्राइस बना रहेगा। सूत्रों ने यह भी कहा कि शेयरों की कीमतों में गिरावट के चलते इसकी टाइमलाइन को 31 जनवरी से आगे बढ़ाने पर विचार कर रहे हैं। भारतीय रेगुलेटर के नियम कहते हैं कि शेयर ऑफरिंग को कम से कम 90 फीसदी भरना चाहिए और अगर ऐसा नहीं होता है तो इश्युअर को पूरा पैसा लौटाना होगा।

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