1996 के बाद पहली बार म्यूचुअल फंड ट्रस्टीज की जिम्मेदारियों में बदलाव, जानिए क्या है सेबी का प्लान – sebi wants to make mutual funds trustees more responsible they will be given more rights also

SEBI ने कुछ समय पहले म्यूचुअल फंड (MF) की भूमिका और जिम्मेदारियों पर एक कंसल्टेशन पेपर प्रकाशित किया था। इसका मकसद एसेट मैनेजमेंट कंपनियों (AMC) के ट्रस्टीज में यूनिटहोल्डर्स और स्टेकहोल्डर्स के बीच हितों के टकराव का समाधान करना है। इंडियन म्यूचुअल फंड इंडस्ट्री का स्ट्रक्चर तीन स्तरीय है। इसमें स्पॉन्सर, ट्रस्ट और AMC शामिल हैं। बोर्ड ऑफ ट्रस्टीज के पास म्यूचुअल फंड की प्रॉपर्टी होती है। यूनिटहोल्डर्स के हित को ध्यान मे रख ऐसा किया जाता है। म्यूचुअल फंड रेगुलेशन में हितों के टकराव से बचने के लिए गाइडलाइंस दी गई हैं। फिर भी, कुछ ऐसे एरियाजा हैं, जिन पर ट्रस्टीज के लिए ज्यादा ध्यान देना जरूरी हो जाता है।

एमएफ स्कीम के स्पॉन्सर या एसोसिएट्स कंपनियों के पब्लिक इश्यू में निवेश करने, इनसाइडर ट्रेडिंग में लिप्त होने या एमएफ स्कीम तक पहुंच का लाभ उठाने के लिए फ्रंट रनिंग और वोटिंग के दौरान स्पॉन्सर के एमएफ स्कीमों के फैसले को प्रभावित करना हितों के टकराव के उदाहरण हैं। फिनसेक लॉ एडवाइजर्स के मैनेजिंग पार्टनर संदीप पारेख ने कहा, “AMC प्रॉफिट बनाने वाली एक Entity है। SEBI उनके लिए चेक एंड बैलेंसज चाहता है।”

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पारेख ने कहा, “रेगुलेटर हमेशा म्यूचुअल फंड्स को लेकर फिक्रमंद रहता है, क्योंकि ये सभी प्रोडक्ट्स में सबसे ज्यदा रिटेल हैं। सभी एसेट क्लासेज में सबसे ज्यादा रेगुलेशंस म्यूचुअल फंड्स के मामले में रहे हैं।”

यहां हम आपको सेबी की तरफ से पेश किए गए कुछ खास प्रस्तावों के बारे में बता रहे हैं:

सेबी ट्रस्टीज को देना चाहता है KRAs

सेबी ने पिछले कुछ सालों में ट्रस्टी के लिए कई तरह की जिम्मेदारियां तय की हैं। इसका मकसद यह सुनिश्चित करना है कि एएमसी का कामकाज किसी तरह से एएमसी से जुड़े पक्षों की तरफ झुकाव रखने वाला नहीं होना चाहिए। हालिया प्रस्ताव में सेबी ने कहा है कि वह ट्रस्टी के अधिकार बढ़ाना चाहता है ताकि वे अपनी कुछ मुख्य जिम्मेदारियों पर फोकस कर सकें। इनमें एएमसी की तरफ से चार्ज की जाने वाली फीस और एक्सपेंसेज की फेयरनेस सुनिश्चित करना शामिल है। ट्रस्टी से यह भी उम्मीद की जाती है कि वे एएमसी की तरफ से मिली जानकारियों के दुरुपयोग के कथित मामलों की जांच करेंगे।

अभी ट्रस्टी को रेगुलेशन का पालन सुनिश्चित करने के लिए एएमसी पर निर्भर रहना पड़ता है। फिर उन्हें समय-समय पर सेबी को इस बारे में रिपोर्ट भेजनी पड़ती है। सेबी का मानना है कि ट्रस्टीज को एएमसी की तरफ से पालन किए जाने वाले कंप्लायंस पर नजर रखने की जरूरत है। उन्हें सिर्फ एएमसी की तरफ से दिए जाने वाले आश्वासन और सौंपे गए डॉक्युमेंट्स पर भरोसा नहीं करना है।

इनडेमनिटी के प्रोविजंस

सेबी ने एमएफ रेगुलेशंस में ट्रस्टी से जुड़े इनडेमनिटी के मौजूदा प्रावधानों को देखने के बाद यह पाया है कि कुछ प्रोविजंस लापरवाही के लिए ट्रस्टीज को जिम्मेदार मानते हैं लेकिन एमएफ रेगुलेशंस में कहा गया है कि अगर उन्होंने पर्याप्त ड्यू डिलिजेंस का पालन किया है तो अच्छे मकसद से उठाए गए कदमों के लिए ट्रस्टीज को जिम्मेदार नहीं ठहराया जा सकता। रेगुलेटर का अब मानना है कि कंपनी के बोर्ड की तरफ से सामूहिक रूप से उठाए गए कदमों के लिए ट्रस्टीज जिम्मेदार हैं, लेकिन उन्हें को-ट्रस्टीज की तरफ से इंडिविजुअल हैसियत जो उनके अधिकार झेत्र से बाहर है किए गए कामों के लिए जिम्मेदार नहीं ठहराया जाना चाहिए।

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