फाइनेंशियल सर्विसेज कंपनी जेरोधा (Zerodha) के को-फाउंडर निखिल कामत का कहना है कि बाजार में 2 अगस्त की गिरावट से निवेशकों को ज्यादा निराश होने की जरूरत नहीं है, क्योंकि बेयर्स में बुल के मुकाबले ज्यादा नाटकीयता होती है। कामत ने अपने यह ट्वीट में यह बात कही। उनका कहना था कि बुरे वक्त में उम्मीद नहीं छोड़नी चाहिए और अच्छे वक्त में ज्यादा से ज्यादा फायदा लेने पर फोकस करना चाहिए।
Zerodha के फाउंडर ने कहा, शेयर बाजार में गिरावट से निराश होने की जरूरत नहीं
‘बेयर मार्केट में बुल के मुकाबले ज्यादा नाटकीयता है। अगर यह बुल रन सामान्य से ज्यादा लंबा चला है और उतार-चढ़ाव काफी कम रहा है, तो अपनी भावनाओं पर काबू रखने की जरूत है…हर चीज का साइकल है। पिछले 19 साल में यही अनुभव मिला है। मामला कुल मिलाकर यह है कि बुरे वक्त में उम्मीद नहीं छोड़नी चाहिए और अच्छे वक्त में ज्यादा से ज्यादा फायदा लेने पर फोकस करना चाहिए। ‘
बेंगलुरु के इस सीरियल आंत्रप्रेन्योर की टिप्पणी भारतीय शेयर बाजार में 2 अगस्त को हुई भारी गिरावट के सिलसिले में आई है। कामत ने अपने ऑफिशियल X हैंडल (ट्विटर हैंडल) पर एक एनालिसिस शेयर किया है, जिसमें उन्होंने बताया है कि आम तौर पर बुल मार्केट की अवधि 1 साल 10 महीना रहती है। हालांकि, हाल के 4 बुल रन की अवधि 3 साल से भी ज्यादा रही।
एनालिसिस के मुताबिक, बेयर मार्केट की अवधि बुल मार्केट के मुकाबले छोटी रहती है और अक्सर इसका दौर 6 महीने में खत्म हो जाता है। सबसे छोटी अवधि वाला बुल मार्केट सिर्फ 50 दिन चला। कामत ने अपने एनालिसिस में बताया है, ‘बुल मार्केट के दौरान औसत लाभ 101% रहा, जबकि बेयर मार्केट में औसतन 33 पर्सेंट की गिरावट देखने को मिली।’
ट्वीट में कहा गया है, ‘आम तौर पर लंबी अवधि वाले बुल मार्केट में ज्यादा लाभ होता है। हालांकि, बेयर मार्केट में इस तरह का ट्रेंड नहीं दिखता है। बेयर मार्केट की अवधि और बाजार में गिरावट की तीव्रता के बीच आम तौर पर कोई संबंध नहीं होता।’