दिग्गज निवेशक शंकर शर्मा (Shankar Sharma) ने कहा है कि वह लार्जकैप कंपनियों के स्टॉक्स में निवेश नहीं कर रहे, क्योंकि इनमें से ज्यादातर की वैल्यूएशन बहुत ज्यादा हो गई हैं। यही वजह है कि उन्होंने लंबे समय से बैंकों के शेयरों में निवेश नहीं किया है। उन्होंने कहा कि अगर आप मुझसे Nifty के अभी के लेवल के बारे में पूछें तो मैं इस बारे में कुछ नहीं बता पाउंगा। इसकी वजह यह है कि पूरा एक्शन स्मॉलकैप कंपनियों के स्टॉक्स में दिख रहा है। मनीकंट्रोल ने दिवाली से पहले शर्मा से स्टॉक मार्केट और इनवेस्टमेंट को लेकर लंबी बातचीत की। हमने उनसे मार्केट की वैल्यूएशन और निवेश के मौकों के बारे में पूछा। शर्मा को स्टॉक मार्केट का कई दशकों का अनुभव है। बड़ी संख्या में इनवेस्टर्स उनके फैंस हैं, जिनकी नजरें शर्मा के इनवेस्टमेंट और पोर्टफोलियो पर होती है।
Shankar Sharma काफी समय से लार्जकैप स्टॉक्स में नहीं कर रहे निवेश, जानिए वजह
Nifty ने दिया स्मॉलकैप इंडक्स से बहुत कम रिटर्न
शर्मा ने कहा कि मेरी बुनियादी सोच यह है कि लार्जकैप कंपनियों के स्टॉक्स एक खास सीमा तक पहुंच गए हैं। कम से कम फिलहाल तो ऐसा ही लगता है। अगर आप HDFC Bank और Kotak Mahindra Bank के प्रॉफिट को देखें तो ये आंकड़े जीडीपी के लिहाज से ये इंडिया जैसे देश के लिए शानदार लगते हैं। हालांकि, बीते एक साल से प्राइवेट बैंकों के स्टॉक्स का प्रदर्शन कमजोर रहा है। HDFC Bank 1 फीसदी गिरा है। Kotak Mahindra Bank का स्टॉक 7 फीसदी लुढ़का है। ICICI Bank का शेयर 4 फीसदी चढ़ा है। इसके मुकाबले निफ्टी 6.8 फीसदी चढ़ा है।
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बीते एक साल में इस वजह से बढ़ा शंकर शर्मा का नेटवर्थ
उन्होंने कहा कि बीते एक साल में निफ्टी में बहुत ज्यादा तेजी नहीं आने के बावजूद उनका नेटवर्थ काफी बढ़ा है। इसकी वजह स्मॉलकैप स्टॉक्स हैं। निफ्टी में ज्यादा तेजी नहीं आई है। इसकी वजह बैंकिंग स्टॉक्स और रिलायंस इंडस्ट्रीज के शेयरों का खराब प्रदर्शन है। निफ्टी में दोनों को मिलाकर करीब 55 फीसदी हिस्सेदारी है। उधर, Nifty Midcap 100 इंडेक्स एक साल में 25.3 फीसदी चढ़ा है। Nifty Smallcap 100 इंडेक्स ने 34.63 फीसदी रिटर्न दिया है।
लार्जकैप स्टॉक्स में निवेश करना आसान
क्या बैंकों के बगैर इकोनॉमी की ग्रोथ मुमकिन है? इस सवाल के जवाब में उन्होंने कहा कि मुझे याद है कि 2007 में यही सवाल इंफ्रा के बारे में पूछा जाता था। इस बीच इंडियन इकोनॉमी की ग्रोथ 6-7 फीसदी रही है, लेकिन कई पुरानी इंफ्रा कंपनियां आज कहीं नजर नहीं आतीं। उन्होंने एक इवेंट के बारे में बताते हुए कहा कि एक बड़े म्यूचुअल फंड हाउस के चीफ इनवेस्टमेंट अफसर ने उनसे कहा था कि इंडिया में छोटी कंपनियां अच्छा प्रदर्शन नहीं कर सकतीं। उस मीटिंग में वह अफसर बहुत आक्रामक दिख रहे थे। जब मैंने स्मॉलकैप स्टॉक्स के बारे में बात करने की कोशिश की तो वह बहुत नाराज हो गए। उन्होंने कहा कि इंडिया में पैसा सिर्फ लार्जकैप स्टॉक्स में बन सकता है।
मार्केट के शोगुल के पीछे व्यक्तिगत वजहें
शर्मा ने फंड मैनेजर्स के लार्जकैप स्टॉक्स पर दांव लगाने की वजह यह बताई कि साइज लिमिटेशंस की वजह से 1,000 करोड़ रुपये का एसेट अंडर मैनेजमेंट (AUM) हासिल करना मुश्किल है और अगर कोई फंड मैनेजर्स इसे हासिल कर भी लेता है तो लिक्विडिटी की वजह से इसे मैनेज करना नामुमकिन है। इस वजह से फंड मैनेजर्स का झुकाव लार्जकैप स्टॉक्स की तरफ होता है, क्योंकि इससे उनकी रोजीरोटी चलती है। शर्मा ने निवेशकों को सावधान करते हुए कहा कि बाजार में ज्यादा शोरगुल के पीछे व्यक्तिगत झुकाव और हित होते हैं। इसके लिए उन्होंने फंड मैनेजर्स का उदाहरण दिया।
म्यूचुअल फंडों का ज्यादा निवेश बड़ी कंपनियों में
Accord Fintech ने कुछ डेटा कंपाइल किए हैं, जिसे Capitalmind ने शेयर किया है। इसके मुताबिक, एक्टिव म्यूचुअल फंडों के AUM के 95 फीसदी का निवेश सिर्फ 382 स्टॉक्स में किया गया है, 80 फीसदी का निवेश सिर्फ 178 स्टॉक्स में किया गया है और 60 फीसदी का निवेश सिर्फ 79 स्टॉक्स में किया गया है।