इंडस्ट्री एक्सपर्ट्स का कहना है कि भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) की मौद्रिक नीति समिति (एमपीसी) 8 दिसंबर को ब्याज दरों में बढ़त पर एक और विराम का विकल्प चुन सकती है। चार बार विराम का विकल्प चुनने के बाद, यह लगातार पांचवीं नीति बैठक होगी जिसमें केंद्रीय बैंक अपनी ब्याज दरों पर यथास्थिति बनाए रख सकता है। आरबीआई ने फरवरी 2023 से रेपो दर को 6.5 फीसदी पर बरकरार रखा है। फरवरी 2023 में हुई बैठक में आरबीआई ने रेपो रेट 6.25 फीसदी से बढ़ाकर 6.5 फीसदी कर दी गई थी। इसके बाद से इसमें कोई बढ़त नहीं की गई है। आरबीआई ने मई 2022 से अब तक रेपो दर में 250 बेसिस प्वाइंट (2.50 फीसदी) की बढ़ोतरी की है।
आरबीआई लगातार पांचवीं बार ब्याज दरों नहीं करेगा बढ़त, अगले 6 महीनों तक दरों में कटौती की उम्मीद नहीं : एक्सपर्ट्स
इंडस्ट्री एक्सपर्ट्स के मुताबिक आरबीआई 8 दिसंबर को दरों पर विराम का विकल्प चुनेगा। उनका ये भी कहना है कि कंज्यूमर लोन पर जोखिम भार बढ़ाने के केंद्रीय बैंक के हालिया कदम से संकेत मिलता है कि दरों में जल्द कटौती शुरू होने की उम्मीद नहीं हैं। इसका मतलब ये है कि भले ही दरों में कोई बढ़त न की जाए लेकिन ये लंबे समय तक ऊंचे स्तर पर बनी रहेगी।
भारतीय स्टेट बैंक (एसबीआई) के चेयरमैन दिनेश खारा ने कहा, ”हम उम्मीद कर रहे हैं कि आरबीआई की आगामी नीति बैठक में रेपो रेट पर यथास्थिति बनी रहेगी।”
श्रीराम फाइनेंस के कार्यकारी उपाध्यक्ष, उमेश रेवनकर ने कहा “अक्टूबर 2023 में महंगाई में 4.7 फीसदी की गिरावट आई थी। इससे घटती ब्याज दरों के दौर की वापसी की उम्मीदें जगी हैं। हालांकि, हाल ही में, RBI ने सिस्टम में नकदी की उपलब्धता को नियंत्रित करने के लिए कंज्यूमर लोन पर कड़ाई बढ़ा दी है। इससे संकेत मिलता है कि एमपीसी रेपो दर 6.5 फीसदी पर बनाए रखेगी”। बता दें कि एमपीसी की अगली बैठक 6-8 दिसंबर को होने वाली है।
एक्सपर्ट्स का ये भी कहना है अगले 6 महीनों में आरबीआई की तरफ से दरों में किसी कटौती की भी उम्मीद नहीं है। मनीकंट्रोल से बात करते हुए दिनेश खारा ने आगे कहा कि अगले छह महीने में रेपो रेट में कटौती की उम्मीद नहीं है। जबकि रेवनकर ने इस बात पर प्रकाश डाला कि पिछली कुछ तिमाहियों में महंगाई के आंकड़े उत्साहजनक रहे हैं लेकिन अर्थव्यवस्था अभी भी संकट से बाहर नहीं है। हमें उम्मीद है कि अगले वित्त वर्ष की शुरुआत तक दरों में कोई कटौती नहीं होगी।