निवेशकों को जल्द ही निवेश के लिए एक नया साधन मिल सकता है। सिक्योरिटीज एंड एक्सचेंज बोर्ड ऑफ इंडिया (SEBI) इन दिनों एक नया एसेट क्लास को बनाने पर काम कर रहा है। यह एसेट क्लास खासतौर से अधिक रिस्क लेने वाले निवेशकों को ध्यान में रख तैयार किया जाएगा। SEBI की चेयरपर्सन माधाबी पुरी बुच (Madhabi Puri Buch) ने शुक्रवार 8 दिसंबर को ये जानकारी दी। मनीकंट्रोल ने इससे पहले 25 नवंबर को जारी एक रिपोर्ट में बताया था कि सेबी ने इस मामले में प्रक्रिया शुरू कर दी है और म्यूचुअल फंड इंडस्ट्री के संगठन एसोसिएशन ऑफ म्यूचुअल फंड्स ऑफ इंडिया (AMFI) के सामने इसका प्रस्ताव रखा है। भारत की म्यूचुअल फंड इंडस्ट्री अब 47 लाख करोड़ को पार कर गई है।
रिटेल निवेशकों के लिए अच्छी खबर! SEBI लाएगा निवेश का नया साधन, मिलेगा म्यूचुअल फंड से भी ज्यादा रिटर्न
बुच ने दिल्ली में आयोजित सीआईआई ग्लोबल इकोनॉमिक पॉलिसी फोरम में ये बातें कहीं। दरअसल मार्केट रेगुलेटर उन खुदरा निवेशकों को लेकर चिंतित है जो अनचाहे टिप्स की तलाश में रहते हैं। ऐसे निवेशक अक्सर गैर-पंजीकृत सलाहकारों की ओर रुख करते हैं, जो इनवेस्टमेंट एडवाइजरी देने के नाम पर अवैध पोर्टफोलियो मैनेजमेंट सर्विसेज (PMS) चलाते हैं और लोगों के पैसों जोखिम वाले निवेश या स्ट्रैटजी में लगा देते हैं।
पिछले कुछ सालों में इक्विटी बाजारों में भारी उछाल आया है। इसके साथ ही रिटेल निवेशकों ने बड़ी संख्या में बाजार में प्रवेश किया है, खासकर कोरोना महामारी के बाद। अभी इनमें से कई निवेशकों ने बाजार के पूरे साइकल को नहीं देखा है और इसलिए वे जल्द पैसा बनाने के चक्कर में गैर-पजीकृत निवेश सलाह के शिकार हो जाते हैं। अधिक रिटर्न कमाने की होड़ में वे जोखिम भरी रणनीतियां भी अपनाते हैं।
फिलहाल आप म्यूचुअल फंड (MF) स्कीमों में सालाना 5000 रुपये से या फिर SIP के जरिए 100 रुपये से भी निवेश कर सकते हैं। हालांकि PMS के लिए कम से कम 50 लाख रुपये और अल्टरनेटिव इनवेस्टमेंट फंड (AIF) के लिए 1 करोड़ रुपये की आवश्यकता होती है।
आमतौर पर, PMS और AIF में हाई रिस्क के साथ हाई रिटर्न वाली रणनीतियां होती हैं। चूंकि इसकी न्यूनतम सीमा म्यूचुअल फंड स्कीमों की तुलना में कहीं अधिक हैं। ऐसे में कुछ रिटेल निवेशक गैर-अपंजीकृत सलाहकारों की ओर से चलाए जा रहे कहीं अधिक जोखिम वाली योजनाओं का विकल्प चुनते हैं।
इंडस्ट्री के अंदरूनी सूत्रों ने इससे पहले मनीकंट्रोल को बताया था कि अगर ऐसी नई अधिक जोखिम वाली कैटेगरी को म्यूचुअल फंड स्कीम के दायरे में रखा जाता है, तो इसे सेबी द्वारा म्यूचुअल फंड सेगमेंट की तरह रेगुलेट किया जा सकता है।