दुनियाभर के बाजारों में कमजोरी के बावजूद भारतीय IPO मार्केट मजबूत, एक्सपर्ट्स से जानिए आगे कैसी रहेगी चाल – Indian IPO market stands firm amid global weakness


ग्लोबल आईपीओ बाजार की मंदी से भारत का दलाल स्ट्रीट काफी हद तक अछूता रहा है। पूर्वी यूरोप में लगातार बिगड़ती जियोपॉलिटिकल स्थिति, बढ़ती ब्याज दर और निवेशकों की घटती जोखिम उठाने की क्षमता कुछ ऐसे कारण रहे हैं जिन्होंने ग्लोबल आईपीओ मार्केट को झकझोर के रख दिया है लेकिन भारतीय आईपीओ बाजार पर इसका कोई खास असर नहीं पड़ा है और यह मजबूती के साथ डटा हुआ है।

भारतीय प्राइमरी मार्केट में 2022 के पहले 5 महीनों में अब तक 16 कंपनियों ने आईपीओ के जरिए 40,942 करोड़ रुपये जुटाए हैं। Chittorgarh.com पर उपलब्ध आंकड़ों के मुताबिक यह जुटाई गई धनराशि पिछले साल की इसी अवधि में जुटाई गई राशि से 41 फीसदी ज्यादा है। बता दें कि 2021 के पहले 5 महीनों में 19 कंपनियों ने आईपीओ के जरिए 29,038 करोड़ रुपये जुटाए थे।

LIC (एलआईसी) का 21,000 करोड़ रुपये का आईपीओ अकेले 2022 में अब तक आए सभी आईपीओ का 50 फीसदी से ज्यादा है। इस तरह अगर एलआईसी के आईपीओ को एक तरफ रख दिया जाए तो दलाल स्ट्रीट पर अब तक आए आईपीओ से जुटाई गई धनराशि सालाना आधार पर 31 फीसदी कम है। हालांकि ये इसी अवधि में ग्लोबल आईपीओ मार्केट में आई औसत गिरावट की तुलना में काफी कम है।

बता दें कि ग्लोबल मार्केट में आईपीओ के वैल्यू में 2022 में काफी गिरावट देखने को मिली है। इसमें भी यूरोप और अमेरिकी आईपीओ बाजार में ज्यादा गिरावट देखने को मिली है। यूएस और यूरोप के बाजार में 2022 में अब तक आईपीओ वैल्यू में 90 फीसदी की गिरावट देखने को मिली है। यह आंकड़े फाइनेंशियल टाइम्स के एक रिपोर्ट पर आधारित है। इस रिपोर्ट में Dealogic के आंकड़ों का उपयोग किया गया है।

ग्लोबल बाजार पर नजर डालें तो 2022 के पहले 5 महीनों में आईपीओ वैल्यू में सालाना आधार पर 71 फीसदी की गिरावट देखने को मिली है और यह 2021 के शुरुआती 5 महीनों के 283 अरब डॉलर से घटकर 81 अरब डॉलर पर पहुंच गई। इस दौरान ग्लोबल आईपीओ मार्केट में लिस्टिग की संख्या भी सालाना आधार पर 1,237 से घटकर 596 पर पहुंच गई।

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Bexley Advisors के उत्कर्ष सिन्हा का कहना है कि ग्लोबल आईपीओ बाजार और भारतीय आईपीओ बाजार के प्रदर्शन में इस अंतर से मैं बहुत सरप्राइज नहीं हूं। भारत में अभी भी ग्रोथ की व्यापक संभावनाएं हैं क्योंकि यहां कारोबार शुरु करने की लागत की भरपाई आगे की व्यापक संभावनाओं से संभव है।

उन्होंने आगे कहा कि दुनिया में इस समय बहुत कम अर्थव्यवस्थाएं ऐसी हैं जहां ग्रोथ खोजने वाले विदेशी निवेशक अपने पैसे डाल सकते हैं। चीन में हाल में हुई घटनाओं की वजह से अब यह दुनिया का सबसे बेहतर निवेश बाजार नहीं रह गया है। ऐसे में भारत अकेला ऐसा बाजार नजर आ रहा है जहां ग्रोथ खोज रहे विदेशी निवेशक अपने पैसे लगा सकते हैं।

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